Featured

उपनयन संस्कार की परंपरा है रानीबाग के उत्तरायणी मेले में

कत्यूरियों के समय का है रानीबाग का चित्रेश्वर मंदिर

उत्तरायणी (Uttarayani) यानी  मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) के दिन नैनीताल (Nainital) से 28 किमी. दूर स्थित रानीबाग (Ranibagh) नाम की जगह पर एक अलग ही तरह का मेला लगता है. रानीबाग में चित्रेश्वर महादेव का मंदिर है जो कत्यूरियों के समय का है.

उत्तराखंड में कत्यूरवंशियों ने बहुत लम्बे समय तक शासन किया. इसलिये इसे चित्रशिला तीर्थ के नाम से जाना जाता है.यहाँ गौला नदी बहती है. इसके किनारे हिन्दुओं का श्मशान घाट है. मान्यता है कि इस जगह का महात्म्य हरिद्वार जितना ही है.

जियारानी की कथा

रानीबाग में मकर संक्रान्ति के अवसर पर मेला लगता है. इस मेले की खास बात है इसमें लगने वाली जागर. इस जागर में कुमाउं और गढ़वाल के कत्यूर वंशी आते हैं और मां जियारानी के पत्थर के सामने एकत्रित होकर जागर लगाते हैं और अपनी कुलदेवी को याद करते हैं.

कहा जाता है कि मां जिया इसी स्थान पर चित्रेश्वर महादेव की अराधना किया करती थी. वे पास ही में बनी एक गुफा में रहती थी. एक बार जब वे स्नानरत थी तो उन पर शत्रुओं द्वारा हमला कर दिया गया.

अपनी रक्षा के लिये लिये जियारानी अपनी गुफा में चली गईं. इसके उसके बाद वे अदृश्य हो गईं. कहते हैं कि नदी के किनारे एक पत्थर पर उनके घाघरे के निशान आज भी हैं.

 

मकर संक्रांति के दिन लगती है कत्यूरियों की जागर

इसी पत्थर के चारों ओर कत्यूरवंशी हर साल जागर लगाते हैं. रात भर की जागर के बाद वे सुबह होने तक अपने घरों को लौट जाते हैं. जियारानी को जागरों की महारानी भी कहा जाता है.

इस स्थान पर अब कुछ नये मंदिर भी बना दिये गये हैं. चित्रेश्वर महादेव और जियारानी की गुफा को आधुनिक रूप दे दिया गया है. इसके कारण इन मंदिरों का प्राचीन स्वरूप बिगड़ा है.

उपनयन संस्कार के लिए शुभ अवसर

जागर के अलावा इस स्थान पर श्रद्धालुओं द्वारा विभिन्न तरह की पूजाएं की जाती हैं. मकर संक्रांति के दिन यहाँ यज्ञोपवीत संस्कार करवाना शुभ माना जाता है. मंदिर परिसर के अंदर एक छोटे से मेले का आयोजन भी होता है जिसमें आसापास के स्थानों  से व्यापारी आकर दुकानें लगाते हैं.

मकर संक्रांति: रानीबाग में वीरांगना जियारानी की पूजा

बचपन की यादों का पिटारा घुघुतिया त्यार

 

विनीता यशस्वी

विनीता यशस्वी नैनीताल  में रहती हैं.  यात्रा और  फोटोग्राफी की शौकीन विनीता यशस्वी पिछले एक दशक से नैनीताल समाचार से जुड़ी हैं.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा

दिन गुजरा रातें बीतीं और दीर्घ समय अंतराल के बाद कागज काला कर मन को…

2 weeks ago

हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़

हरे-घने हिमालयी जंगलों में, कई लोगों की नजरों से दूर, एक छोटी लेकिन वृक्ष  की…

2 weeks ago

भू कानून : उत्तराखण्ड की अस्मिता से खिलवाड़

उत्तराखण्ड में जमीनों के अंधाधुंध खरीद फरोख्त पर लगाम लगाने और यहॉ के मूल निवासियों…

2 weeks ago

यायावर की यादें : लेखक की अपनी यादों के भावनापूर्ण सिलसिले

देवेन्द्र मेवाड़ी साहित्य की दुनिया में मेरा पहला प्यार था. दुर्भाग्य से हममें से कोई…

2 weeks ago

कलबिष्ट : खसिया कुलदेवता

किताब की पैकिंग खुली तो आकर्षक सा मुखपन्ना था, नीले से पहाड़ पर सफेदी के…

3 weeks ago

खाम स्टेट और ब्रिटिश काल का कोटद्वार

गढ़वाल का प्रवेश द्वार और वर्तमान कोटद्वार-भाबर क्षेत्र 1900 के आसपास खाम स्टेट में आता…

3 weeks ago