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अपने बेटे-बहु को नौकरी दे दी तो कौन सा पाप किया : पूर्व विधानसभा अध्यक्ष

इन दिनों उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों में होने वाले घोटालों का भूत नाच रहा है. आज इस विभाग में कल इस विभाग में. 22 सालों में उत्तराखंड ने यह पाया है कि अब शायद ही कोई विभाग बचा हो जहां भर्ती घोटाले का भूत न नाचा हो. लोगों का आरोप है कि यह भूत नचाया ही इसलिए जा रहा है ताकि पूरे घोटाले में शामिल सरगनाओं तक पहुंचने का रास्ता ही भूल-भुलैया में तब्दील हो जाये.
(Uttarakhand Vidhansabha Scam Report)

क्या भाजपा क्या कांग्रेस. दोनों पार्टियों के बड़े नेताओं के नाम भर्ती घोटाले में शामिल है. हाल के दिनों में भर्ती घोटाले का भूत विधानसभा में नाच रहा है. दरसल विधानसभा अध्यक्ष भारतीय संविधान के अनुच्छेद 187 के तहत विधानसभा में तर्दथ नियुक्तियां कर सकता है. इस अधिकार का प्रयोग कर पार्टियाँ अपने हित साधती हैं.

उत्तराखंड विधानसभा में भी अनुच्छेद 187 के तहत पूर्व विधानसभा अध्यक्षों ने नियुक्तियां की हैं जिसपर अब साल उठ रहे हैं. मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि विधानसभा अध्यक्ष इसकी जांच के विषय में अपना फैसला लेंगी. विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी अपनी सप्ताह भर की विदेश यात्रा के बाद आज देहरादून पहुंच रही हैं.

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल और गोविन्द कुंजवाल पर आरोप है कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान नियमों को ताक पर रखकर अपने चाहितों को नियुक्त किया. प्रेमचंद अग्रवाल भाजपा के नेता हैं और गोविन्द कुंजवाल कांग्रेस के. दोनों ने सभी नियुक्तियों को नियमानुसार बताया और कहा कि वह किसी भी प्रकार की जांच के लिये तैयार हैं.

प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि नियमों की परिधि में जो भी आया, उसे नियुक्ति दी गई। यह पहली बार हुआ है, ऐसा नहीं है. मैं अपने कार्यकाल के दौरान हुए भर्तियों की जांच के लिए तैयार हूँ. आरोप है कि प्रेमचंद अग्रवाल ने विधानसभा अध्यक्ष रहते हुये भाजपा नेताओं के रिश्तेदारों को नियुक्त किया.

अमर उजाला अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार अपने बेटे और बहु की नियुक्ति के आरोप पर कांग्रेस नेता गोविन्द कुंजवाल ने कहा कि मेरा बेटा बेरोजगार था, मेरी बहू बेरोजगार थी, दोनों पढ़े लिखे थे. अगर डेढ़ सौ भर्तियों में दो लोगों को नौकरी दे दी तो कौन सा पाप किया.

इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गोविन्द कुंजवाल का बचाव करते हुए कहा- वर्ष 2016 में तत्कालिन विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के समय में जो नियुक्तियां हुईं, वह उस वक्त की जरुरत थीं. हम गैरसैंण में विधानसभा का सत्र चलाने वाले थे. इसलिए तय किया गया था कि विधानसभा सचिवालय को गैरसैंण ले जाया जाए. तब हमें लोगों की जरुरत थी. उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्तियों में धांधली और हाकम सिंह प्रकरण से ध्यान भटकाने के लिए कुछ लोग अचानक विधानसभा में हुई नियुक्तियों का मामला उछाल रहे हैं. इससे ऐसा वातावरण बन जाए कि यहां सबकुछ गड़बड़ चल रहा है. उन्होंने कहा कि यह बात राज्य हित में नहीं है.
(Uttarakhand Vidhansabha Scam Report)

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