उत्तराखंड ने वर्ष 2017 और 2018 के बीच ‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना’ के अंतर्गत सबसे अधिक सड़कों का निर्माण किया है. इस वित्तीय वर्ष में उत्तराखंड में PMGSY के तहत 1839 किमी सड़क निर्माण हुआ है जबकि लक्ष्य 1500 किमी का था.
यह जानकारी उत्तराखंड ग्रामीण सड़क विकास संस्थान के सीईओ राघव लांगर की ओर से जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में दी गई है.
साथ ही इस विज्ञप्ति में यह भी बताया गया है कि उत्तराखंड को इस बात के लिए भी दूसरा दर्जा मिला है कि उसने इस 1839 किमी सड़क के ज़रिए 207 बसासतों का सड़क से संपर्क स्थापित किया है जबकि लक्ष्य 172 बसासतों का था.
उत्तराखंड के दूरस्त ग्रामीण इलाक़ों को तेज़ी से सड़कों के संपर्क में लाए जाने की क़वायद की यह ख़बर उत्साहजनक है. हालांकि इन सड़कों की गुणवत्ता और पहाड़ों को सड़क निर्माण के लिए बेतरतीबी से काटे जाने पर भी सवाल उठते रहते हैं जिन पर ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है.
इसकी बानगी हल्द्वानी से अल्मोड़ा की ओर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 109 से सिसरा गांव को जोड़ने के लिए कट रही PMGSY की एक सड़क है जिसके मलबे के चलते यहां मौजूद एक ऐतिहासिक धरोहर पर ख़तरा मंडराने लगा है. यह सड़क जसुली शौक्याणी की खीनापानी में मौजूद दो सरायों के ठीक ऊपर से गुज़रती है.
सड़क निर्माण के दौरान मलबे के निस्तारण की कोई समुचित व्यवस्था नहीं होने से मलबे को सड़क के नीचे ही फैंका जा रहा है. इसके चलते जसुली शौक्याणी की ऊपरी सराय को जोड़ने वाला रास्ता पूरी तरह टूट चुका है और अब सराय तक पहुंचना संभव नहीं है. साथ ही इस मलबे के चलते सराय पर भी ख़तरा मडराने लगा है. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने इसके लिए अधिकारियों से शिकायत भी की थी लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया.
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