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चैंपियन के विरुद्ध आरोप नैतिकता से अधिक, आपराधिक है

किसी व्यक्ति को बात-बात पर हथियार निकाल लेने और बंडी उतार कर अपनी मांसपेशियों के प्रदर्शन करने का कुटैव हो और इत्तफाकन वह राजनेता भी हो तो उस से क्या-क्या करने उम्मीद की जा सकती है यह सोचना ही किसी दिलचस्प किस्से का स्रोत हो सकता है. संयोगवश वह नेता सत्ताधारी पार्टी का विधायक हो तो कहने ही क्या! (Uttarakhand MLA Champion Challenges Law)

खानपुर विधायक कुवर प्रणव सिंह चैंपियन का मदहोश होकर खतरनाक शास्त्रों का प्रदर्शन कर वायरल हो रहा वीडियो सिर्फ राजनीतिक शुचिता और नैतिकता का सवाल नहीं है. यह सवाल कानून के उल्लंघन का भी है यदि सरकार का विश्वास कानून के राज में है तो उसे राजनीतिक वक्तव्य दिए जाने पार्टी स्तर पर सवाल जवाब लिए जाने से इतर यह एक आपराधिक मामला है. (Uttarakhand MLA Champion Challenges Law)

भारतीय शस्त्र अधिनियम 1959 की धारा 17 उप धारा 3 (अ)(ब) यह स्पष्ट प्रावधान है कि जब कभी शस्त्र धारा लाइसेंस की शर्तो का इस प्रकार उल्लंघन करे और लाइसेंस निर्गत करने वाले प्राधिकारी को यह विश्वास हो जाए की इस प्रकार शस्त्र के प्रदर्शन से जीवन भय उत्पन्न हो रहा है और लाइसेंस धारक ऐसी मनःस्थिति में नहीं है कि वह शस्त्र का सुरक्षित रख रखाव कर सके तो लाइसेंस निर्गत प्राधिकारी उक्त निर्गत लाइसेंसों को निरस्त कर शस्त्रों को जब्त करने की कार्यवाही अमल में ला सकता है .

वायरल हो रहे इस शर्मनाक वीडियो में खानपुर विधायक न केवल शस्त्र अधिनियम की धाराओं का उल्लंघन कर रहे हैं बल्कि पूरे उत्तराखंड राज्य को गाली देकर 153 ए भारतीय दंड संहिता का भी अपराध कर रहे हैं.

सवाल इतना भर है कि उत्तराखंड सरकार कानून के समक्ष सभी को बराबर मानती है या नहीं. और यह भी कि क्या कानून से संचालित होने वाले शासन जैसे संवैधानिक मूल्यों के प्रति उसकी कोई निष्ठा है अथवा नहीं.

देखने वाली बात यह भी होगी कि क्या वह सिर्फ राजनीतिक दावपेंच और प्रपंच कर मामले पर धूल डालेगी या कोई ठोस अनुशासनात्मक कार्रर्वाई करेगी. आने वाले दिनों में राज्य सरकार क्या करती है उस पर उस की छवि बहुत कुछ निर्भर करेगी.

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