दुनिया सभ्यताओं में चांद और खूबसूरती एक दूसरे के पर्याय रहे हैं. आदिम से विज्ञान तक का सफ़र तय कर चुका इंसान प्रकृति के पीछे हमेशा से मोहित रहा है. चांद की खूबसूरती के मोह पर तो हजारों हजार ग्रंथ लिखे जा सकते हैं. कथा, कहानी, लोकगीत कुछ भी हो चाँद सब जगह मौजूद रहा है. अगर चांद को दुनिया भर में सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला उपमान कहा जाए तो अतिश्योक्ति न होगी.
(The Waning Moon of the Full Moon)
दुनिया का कोई हिस्सा नहीं जहां से चांद खूबसूरत न दिखता हो. मरूस्थल में रहने वाले हों या समुद्र के करीब या रहते हों किसी पहाड़ की चोटी पर, चांद ने सबको अपनी मोहब्बत में गिरफ़्त कर रखा है. उम्र को कोई भी पड़ाव हो इंसान किसी न किसी तौर पर चांद से रिश्ता बनाकर रखता है.
चांद की रौशनी में नहाई रात चांद चांदनी रात कहलाती है. कुमाऊनी में चांदनी रात के लिए शब्द है जुन्याली रात. जुन्याली रात के मायने के मायने पहाड़ में रहने वाले खूब जानते हैं. पहाड़ के लोगों और चांद के बीच खूब म्याला रिश्ता है. अपने दिल की बात कहने के लिये वह सबके लिए उपलब्ध है, मां के भाई जैसा गहरा रिश्ता यूं ही तो किसी को हासिल नहीं होता.
(The Waning Moon of the Full Moon)
उगते हुए चांद की तस्वीरें आपने ख़ूब देखीं होंगी क्या कभी डूबते हुए चांद को देखा. रात भर पहाड़ों को दूधिया उजियारे में नहलाने वाला चांद, सूरज उगने से ठीक पहले अपना रंग बदलता है. ठंड के मौसम में डूबते चांद का रंग किसी नये तांबे के फौले जैसा हो जाता है और आसमान में अपने आस-पास रंगों का ऐसा कैनवास बनाता है जैसे कोई चित्रकार रंगों में सिद्धहस्त हो चुका हो.
बीती पूर्णिमा के अगले दिन काफल ट्री के अनन्य साथी जयमित्र सिंह बिष्ट ने रातभर अंधेरे को दूधिया उजियारे में बदल कर सूरज के उगने से पहले पहाड़ों के पीछे छिपने जा रहे चांद की तस्वीरें कैमरे में कैद की हैं. पूस के इस मौसम में पहाड़ और डूबते चांद का अद्भुत नज़ारा को तस्वीरों में देखिये –
(The Waning Moon of the Full Moon)
जयमित्र सिंह बिष्ट
अल्मोड़ा के जयमित्र बेहतरीन फोटोग्राफर होने के साथ साथ तमाम तरह की एडवेंचर गतिविधियों में मुब्तिला रहते हैं. उनका प्रतिष्ठान अल्मोड़ा किताबघर शहर के बुद्धिजीवियों का प्रिय अड्डा है. काफल ट्री के अन्तरंग सहयोगी.
इसे भी पढ़ें: शरद में बिनसर : फोटो निबंध
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…
उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…
पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…
आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…
“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…