Story by Devendra Mewari

खड़कदा – देवेंद्र मेवाड़ी की कहानी

कहानी की कहानी - 4 बखतऽ तेरि बलै ल्यूंल. तेरी बलिहारी जाऊं बखत (वक्त). कितना कुछ चला जाता है बखत…

5 years ago