एस. डी. बर्मन

एस. डी. बर्मन के कड़े इम्तहान में कैसे पास हुआ नीरज का रंगीला रे

1955-56 की एक काव्य संध्या में देव साहब ने नीरज को सुना. उनकी कविता उन्हें इतनी भायी कि उन्होंने नीरज…

5 years ago

बैठी हूँ कब हो सवेरा रुला के गया सपना मेरा

रुला के गया सपना मेरा बैठी हूँ कब हो सवेरा वही है गमे दिल वही है चंदा तारे वही हम…

5 years ago