आलोक श्रीवास्तव

अम्मा: आलोक श्रीवास्तव की कविता

अम्मा चिंतन दर्शन जीवन सर्जन रूह नज़र पर छाई अम्मा सारे घर का शोर शराबा सूनापन तनहाई अम्मा उसने खुद़…

5 years ago