धूमिल

धूमिल की कविता ‘रोटी और संसद’

रोटी और संसद - सुदामा पाण्डेय 'धूमिल' एक आदमी रोटी बेलता है एक आदमी रोटी खाता है एक तीसरा आदमी…

6 years ago