व्यक्तित्व

फिल्मफेयर अवार्ड जीतने वाली उत्तराखंड की सुनीता रजवार

2021 में फिल्म फेयर में पुरुस्कारों की श्रेणी में ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिये एक नई श्रेणी जोड़ी गयी. 2021 के फिल्म फेयर अवार्ड की इस श्रेणी में सुनीता रजवार को बेस्ट स्पोर्टिंग एक्ट्रेस का अवार्ड दिया गया. सुनीता रजवार को यह अवार्ड गुल्लक वेबसीरीज में उनके किरदार बिट्टू की मम्मी के लिये दिया गया.  
(Suneeta Rajwar Uttarakhand)

उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर से ताल्लुक रखने वाली सुनीता रजवार के इस मुकाम को हासिल करने की कहानी उन मेहनतकश पहाड़ियों की कहानियों में एक कहानी है जिनकी बेहद खुबसूरत मुस्कराहट के पीछे होती है सालों के संघर्ष की तपिश. एक बेहद सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाली सुनीता आज भी अपनी बातों में हल्द्वानी के नाहिद सिनेमाघर, प्रेम टॉकीज और लक्ष्मी सिनेमाघर का जिक्र करना कभी नहीं भूलती.

सुनीता रजवार के पिता पिथौरागढ़ जिले के रहने वाले थे. अपने एक इंटरव्यू में सुनीता रजवार पिता के संघर्षों के बारे में बताते हुये वह कहती हैं कि मेरे पिता मूलरूप से पिथौरागढ़ के थे गांव से भागकर उन्होंने कई जगह छोटी-मोटी नौकरियां की और आखिर में हाइडिल में ट्रक ड्राईवर की नौकरी में लग गये. उन्होंने हम तीनों भाई-बहिनों को हल्द्वानी के सबसे अच्छे स्कूल में दाखिला दिलाया. तब हाइडिल के एसडीओ और जेई लोगों के बच्चे उस स्कूल में दाखिला नहीं पा सके पर न जाने हमारे पापा ने कैसे यह सब किया. मैं इसलिए यह बता रही हूँ क्योंकि यह बेहद खुबसूरत बात है कि एक अनपढ़ ट्रक ड्राईवर होने के बावजूद मेरे पापा ने शहर में अपने बच्चों को सबसे अच्छी शिक्षा दिलाई.

अपनी शुरुआती शिक्षा हल्द्वानी में पूरी करने के बाद सुनीता रजवार ने नैनीताल के डीएसबी कालेज में दाखिला लिया. कालेज के दिनों में ही सुनीता रजवार युगमंच से जुड़ी. युगमंच को याद करती हुई सुनीता बताती हैं कि युगमंच के कलाकारों की ख़ास बात यह थी कि वो लोग अपने कलाकारों को खूब सराहते थे और आगे बढ़ने के लिये प्रोत्साहित करते. युगमंच में रहकर ही मैंने एनएसडी के बारे में पहली बार सुना और इसके बाद जो एनएसडी का सफ़र शुरु हुआ. आज मैं जो भी युगमंच के कारण हूँ. न मैं युगमंच से जुड़ती न मेरी मुलाक़ात जहूर दा, निर्मल दा लोगों से होती न मैं एनएसडी के बारे में कभी जान पाती.  
(Suneeta Rajwar Uttarakhand)

नैनीताल में अपने कालेज के दिनों को याद करते हुये सुनीता रजवार निर्मल पांडे का जिक्र नहीं भूलती. वह निर्मल पांडे के विषय में कहती हैं कि नैनीताल में अजुवा-बफौल नाटक का मंचन होना था. युगमंच जब महिला किरदारों के लिये कलाकारों का चयन कर रहा था तब मैं भी उनके साथ जुड़ गई. इस नाटक के दौरान अदाकारी को देखकर निर्मल दा ने मुझे बोला तू एनएसडी क्यों नहीं करती है. मुझे तब पहली बार एनएसडी के बार में पता चला. निर्मल दा ने ही मुझे फॉर्म भरवाया और वहीं से यह सफ़र शुरु हुआ.

एनएसडी के बाद फिल्म, सीरयल, वेबसीरीज और फिर फिल्मफेयर अवार्ड तक सुनीता रजवार के सफ़र की एक लम्बी कहानी है. एक कहानी जिससे गुजरकर ही कोई सुनीता रजवार बन सकता है.
(Suneeta Rajwar Uttarakhand)

काफल ट्री फाउंडेशन

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

हमारे कारवां का मंजिलों को इंतज़ार है : हिमांक और क्वथनांक के बीच

मौत हमारे आस-पास मंडरा रही थी. वह किसी को भी दबोच सकती थी. यहां आज…

17 hours ago

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

5 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

5 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

6 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

7 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

7 days ago