अपने शानदार प्रदर्शन की बदौलत अल्मोड़ा के लक्ष्य सेन ने बैडमिंटन विश्व फेडरेशन के प्रतिष्ठित वर्ल्ड टूर टूर्नामेंट में अपना स्थान बना लिया है. दुनिया के टॉप 8 खिलाड़ियों का चयन वर्ल्ड टूर टूर्नामेंट में किया गया. इस टूर्नामेंट में खिलाड़ियों का चयन उनके वर्ष भर के प्रदर्शन के आधार पर होता है. इस टूर्नामेंट में स्थान बनाने वाले सबसे युवा भारतीय लक्ष्य सेन हैं.
(Story Lakshya Sen)
यह पहली बार है जब वर्ल्ड टूर टूर्नामेंट के पुरुष एकल में दो भारतीय खिलाड़ियों का चयन हुआ है. लक्ष्य सेन के अलावा किदाम्बी श्रीकांत का भी चयन हुआ है. 1 से 5 दिसम्बर तक वर्ल्ड टूर टूर्नामेंट, बाली (इंडोनेशिया) में आयोजित होगा.
लक्ष्य सेन ने अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय ख़िताब 10 साल की उम्र में सिंगापुर इंटरनेशनल 2011, अंडर 11 जीता था. लक्ष्य सेन के नाम अनेक बड़े कारनामे रहे हैं जिनके चलते अल्मोड़ा जैसे छोटे से नगर अक्सर राष्ट्रीय सुर्ख़ियों में बना रहता है. आठ बरस की उम्र में ही लक्ष्य सेन की प्रतिभा को बेडमिन्टन लेजेन्ड प्रकाश पादुकोण ने पहचान लिया था. लक्ष्य सेन, प्रकाश पादुकोण के सबसे प्रिय शिष्यों में हैं.
लक्ष्य सेन के पिता धीरेन्द्र सेन और दादाजी चन्द्रलाल सेन दोनों ही ख्याति प्राप्त बैडमिन्टन खिलाड़ी रह चुके हैं. चन्द्रलाल सेन के विषय में एक लम्बा आलेख यहां पढ़िये: चन्द्रलाल सेन जिनके पोते आज विश्व चैम्पियन हैं
(Story Lakshya Sen)
लक्ष्य सेन मूल रूप से अल्मोड़ा जिले की सोमेश्वर तहसील के रस्यारा गाँव के हैं. अल्मोड़ा के तिलकपुर मोहल्ले में स्थित उनके घर में बना बैडमिन्टन का कोर्ट लक्ष्य सेन के दादाजी द्वारा ने ही बनाया. इसी बैडमिन्टन कोर्ट में दिन-रात मेहनत कर लक्ष्य सेन ने आज यह मुकाम हासिल किया है.
(Story Lakshya Sen)
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