कथा

पौराणिक कथाओं में ऋषिकेश

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree

उत्तराखंड स्थित ऋषिकेश को दुनिया आज ‘योग की राजधानी’ के तौर पर जानती है. ऋषिकेश उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटक स्थलों में एक है. पुराणों में ऋषिकेश से जुड़ी अनेक पौराणिक कथाएँ मिलती हैं. स्कन्दपुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने ऋषियों को यह भूमि प्रदान की थी. यहां रहने वाले ऋषि मधु कैटभ जैसे दैत्यों से परेशान थे. ऋषियों की प्रार्थना पर भगवान विष्णु ने दैत्यों का नाश किया और ऋषियों को यह भूमि साधना के लिये प्रदान की. इसी कारण इस क्षेत्र का नाम ऋषिकेश पड़ा.
(Rishikesh in Mythology)

ऋषिकेश का अन्य पौराणिक नाम कुब्जाभ्रक है. यह मान्यता है कि भगवान विष्णु ने रैम्य नाम के एक मुनि को यहां आम के वृक्ष में दर्शन दिये थे. यह कहा जाता है कि रैम्य मुनि कुबड़े थे.

इस कथा के एक अन्य रूप अनुसार रैम्य मुनि की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने इस स्थल के विषय का नाम हृषिक रखा.  माना जाता है कि वर्तमान ऋषिकेश इसी हृषिक का तद्भव है.   
(Rishikesh in Mythology)

ऋषिकेश से जुड़ी पौराणिक कथाओं में एक कथा भगवान राम से भी जुड़ी है. यह माना गया कि रावण वध के बाद भगवान राम ने ब्राह्मण वध के पाप से मुक्त होने के लिये ऋषिकेश में ही तप किया. त्रिवेणी तट पर स्थित भगवान राम-जानकी मंदिर को इस कथा से जोड़कर देखा जाता है.

ऋषिकेश में तप से जुड़ी एक कथा भगवान राम के भाई भरत की भी कही जाती है. कहा जाता है कि जिस स्थान पर भरत ने तप किया उस स्थान पर वर्तमान में भरत मन्दिर बनाया गया. ऋषिकेश में लक्ष्मण मंदिर और शत्रुघन मंदिर भी हैं.    
(Rishikesh in Mythology)

–  काफल ट्री फाउंडेशन

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

2 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

3 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago