कई बार उन्हें केवल हंसाने वाला कवि मान लिया जाता रहा है पर शेरदा की कविता में गहरा जीवनदर्शन है. मिसाल के तौर पर उनकी एक मशहूर कृति ‘बुड़ी अकावौ प्रेम’ यानी ‘घोर बुढ़ापे की मोहब्बत’ ऊपर से सपाट प्रेमकविता नजर आती है मगर उसके गहरे सांकेतिक अर्थ हैं. आयु, जीवन, प्रेम और मृत्यु की सनातन थीम्स उसमें गुंथी पड़ी हैं. शेरदा अपनी जगह पर बने रहेंगे – अद्वितीय.
(Remembering Sherda Anpadh)
शेरदा की पुण्यतिथि पढ़िये उनकी कविता : तुम भया ग्वाव गुसें, हम भया निकाव गुसें.
तुम भया ग्वाव गुसें,
हम भया निकाव गुसें.
तुम सुख में लोटी रया,
हम दुख में पोती रया.
तुम हरी काकड़ जस,
हम सुकी लाकड़ जस.
तुम आजाद छोड़ी जती,
हम गोठ्यायी बाकार जस.
तुम सिंघासन भै रया,
हम घर घाट है भै रया.
तुम स्वर्ग, हम नर्क,
धरती में, धरती आसमानौ फर्क.
तुमरि थाइन सुनक रवाट,
हमरि थाइन ट्वाटै-ट्वाट.
तुम ढड़ुवे चार खुश,
हम जिबाइ भितेर मुस.
तुम तड़क भड़क में,
हम बीच सड़क में.
तुमरि कुड़ि छाजि रै,
हमरि कुड़ि बाँजि रै.
तुमार गाउन घ्यूंकि तौहाड़,
हमार गाउन आसुँक तौहाड़.
हमूल फिरंगी ग्वार भजाय,
तुमूल हमार छ्वार भजाय.
तुम बेमानिक रवाट खांनया,
हम ईमानक ज्वात खांनया.
तुम पेट फुलूण में लागा,
हम पीड़ लुकूण में लागा.
तुम समाजक इज्जतदार,
हम समाजक भेड़ गंवार.
तुम मरी लै ज्यून् भया,
हम ज्यूणैजी मरी भया.
तुम मुलुक कैं मारण में छां,
हम मुलुक में मरण में छां.
तुमूल मौक पा सुनुक महल बणै दीं,
हमूल मौक पा गर्धन चड़ैदीं.
लोग कूनी ऐक्कै मैक च्याल छां,
तुम और हम.
अरे! हम भारत मैक छां,
तुम साव कैक छा.
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…
इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …
तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…