Featured

महसूस कीजिये दिव्य जागेश्वर को

घने हरे-भरे देवदार के पेड़ों के बीच में जागेश्वर में एक अलग ही अनुभूति होती है, यहाँ पर समय व्यतीत करना ध्यान करने जैसा लगता है. वैसे तो जागेश्वर में साल के किसी भी समय आना अच्छा लगता है पर आजकल सावन के दिनों जागेश्वर का आध्यात्मिक माहौल और इसके आसपास का हरा भरा वातावरण इसकी सुंदरता को और बड़ा देता है.
(Photos of Jageshwar Almora 2024)

कुमाऊनी पिछौड़ा ओढ़े महिलायें और धोती एवं जनेऊ धारण करे पुरुष अपने अपने परिवारों के साथ पूजा में ध्यान मग्न दिखते हैं. जागेश्वर के सैकड़ों मंदिरों के बीच बीच में पार्थिव पूजन में लगे ये लोग जागेश्वर के साथ एक दिव्य दृश्य को पूरा करते हैं जिसकी कल्पना सावन के महीने में ही की जा सकती है.

ऐसा दृश्य शायद और किसी धाम में देखने को मिले जहां इतने सुंदर और विशाल देवदार के जंगल और पेड़ों के बीचों बीच मंत्रोचार, आरती और हवन के बीच आप जागेश्वर की दिव्यता को महसूस कर पाते हैं.
(Photos of Jageshwar Almora 2024)

जागेश्वर के एक वरिष्ठ पुजारी बताते हैं की पुराने समय में पिछौड़ा पहन के आने वाली महिलाएँ अपनी पूजा सफल होने के लिए बारिश होने को शुभ मानती थी और प्राकृतिक रंगों से बने पिछोड़े पर बारिश की बौछार होने पर पिछौड़े का रंग उन पर लगने को वो अपने सुहाग से जोड़ कर देखती थी जितना गहरा रंग उतना अटल सुहाग.

पिछले कई सालों से जागेश्वर आता रहा हूँ और यहाँ के फोटोग्राफ लेता हूँ, हर साल  सावन में यहाँ आना और यहाँ के वातावरण और गतिविधियों के फोटो लेना आध्यात्मिक सुकून देता है मानसिक शांति देता है. इस साल के सावन के जागेश्वर के फोटो आप भी देखिए और महसूस कीजिये दिव्य जागेश्वर को… दिव्य उत्तराखण्ड को…
(Photos of Jageshwar Almora 2024)

(फोटो एवं विवरण काफल ट्री के अनन्य साथी जयमित्र सिंह बिष्ट, हिमालयन जेफर, की फेसबुक से लिया गया है.)

जयमित्र सिंह बिष्ट

अल्मोड़ा के जयमित्र बेहतरीन फोटोग्राफर होने के साथ साथ तमाम तरह की एडवेंचर गतिविधियों में मुब्तिला रहते हैं. उनका प्रतिष्ठान अल्मोड़ा किताबघर शहर के बुद्धिजीवियों का प्रिय अड्डा है. काफल ट्री के अन्तरंग सहयोगी.

इसे भी पढ़ें: पहाड़ों में पिछले एक महीने से खेतों में उत्सव का माहौल है

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

‘गया’ का दान ऐसे गया

साल 1846 ईसवी. अवध के कैंसर से जूझते नवाब अमजद अली शाह अपने अंतिम दिन…

2 days ago

कोसी नदी ‘कौशिकी’ की कहानी

इस पहाड़ से निकल उस पहाड़कभी गुमसुम सी कभी दहाड़यूं गिरते-उठते, चलते मिल समंदर से…

5 days ago

यो बाटा का जानी हुल, सुरा सुरा देवी को मंदिर…

मुनस्यारी में एक छोटा सा गांव है सुरिंग. गांव से कुछ तीन किलोमीटर की खड़ी…

1 week ago

कुमौड़ गांव में हिलजात्रा : फोटो निबन्ध

हिलजात्रा एक ऐसी परंपरा जो पिछले 500 सालों से पिथौरागढ़ के कुमौड़ गाँव में चली…

1 week ago

शो मस्ट गो ऑन

मुझ जैसा आदमी... जिसके पास करने को कुछ नहीं है... जो बिलकुल अकेला हो और…

3 weeks ago

सेंट जोसेफ कॉलेज नैनीताल : देश का प्रतिष्ठित स्कूल

किसी भी समाज के निर्माण से लेकर उसके सांस्कृतिक एवं आर्थिक विकास में शिक्षा की …

3 weeks ago