Featured

नैनीताल के होली महोत्सव की तस्वीरें

रविवार 17 मार्च 2019 की दोपहर 1 बजे नयना देवी मंदिर के पटांगण में नैनीताल की सबसे पुरानी नाट्य संस्था युगमंच के 23वे होली महोत्सव की शुरूआत हो गयी. इस आयोजन में चम्पावत और गंगोलीहाट की होली मंडली भी आयी थी जिन्होंने अपने होली गायन और नृत्य से समां बांध दिया.

मंदिर में खड़ी होली के आयोजन के बाद एक होली जुलूस भी निकाला गया जो राम सेवक सभा, मल्लीताल तक गया. इस जुलूस को भी मंडलियों ने होली गायन से शानदार बना दिया.

युगमंच के पूर्व अध्यक्ष श्री ज़हूर आलम बताते हैं – युगमंच ने होली महोत्सव करने की शुरुआत उस समय की जब नैनीताल में होली का स्वरूप बिगड़ने लगा था. होली के नाम पर यहाँ पर हुड़दंग होने लगा और रंगों की जगह लोग कीचड़, गोबर और अन्य तरह के घातक चीजें उठाकर किसी को भी मार देते थे साथ ही शराब ने भी इस माहौल को और ज्यादा खराब किया. उस समय हालत यह होने लगी थी कि होली के दिनों में लोग घर से बाहर निकलना पसंद नहीं करते थे और महिलायें तो गलती से भी बाजार आना पसंद नहीं करती थी.

इस बिगड़ते स्वरूप को ठीक करने के उद्देश्य से ही युगमंच ने होली महोत्सव का आयोजन किया और शहर की गलियों में घूम-घूम के होली के जुलूस निकाले. इससे लोगों में अपने पहाड़ की सांस्कृतिक और रागों में गाये जाने वाली होली के प्रति रुझान बढ़ने लगा साथ ही महिलाओं ने भी होलियों में शिरकत करना शुरू किया. आज नैनीताल में होली में पारंपरिक स्वरूप में आने लगी है और महिला हों या पुरुष सब ही सब महोत्सव में बेझिझक शामिल होते हैं.

केशरबाग लगाया, मजा बादशाह ने पाया : कुमाऊनी बैठकी होली परम्परा

कभी तो खिलेंगे इन डारिन वे फूल : सतराली में होली की यादें

 

विनीता यशस्वी

विनीता यशस्वी नैनीताल में रहती हैं. यात्रा और फोटोग्राफी की शौकीन विनीता यशस्वी पिछले एक दशक से नैनीताल समाचार से जुड़ी हैं.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

View Comments

  • अद्भुत छायांकन। विनीता को ढेर-ढेर बधाई।

Recent Posts

हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा

दिन गुजरा रातें बीतीं और दीर्घ समय अंतराल के बाद कागज काला कर मन को…

3 weeks ago

हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़

हरे-घने हिमालयी जंगलों में, कई लोगों की नजरों से दूर, एक छोटी लेकिन वृक्ष  की…

3 weeks ago

भू कानून : उत्तराखण्ड की अस्मिता से खिलवाड़

उत्तराखण्ड में जमीनों के अंधाधुंध खरीद फरोख्त पर लगाम लगाने और यहॉ के मूल निवासियों…

4 weeks ago

यायावर की यादें : लेखक की अपनी यादों के भावनापूर्ण सिलसिले

देवेन्द्र मेवाड़ी साहित्य की दुनिया में मेरा पहला प्यार था. दुर्भाग्य से हममें से कोई…

4 weeks ago

कलबिष्ट : खसिया कुलदेवता

किताब की पैकिंग खुली तो आकर्षक सा मुखपन्ना था, नीले से पहाड़ पर सफेदी के…

1 month ago

खाम स्टेट और ब्रिटिश काल का कोटद्वार

गढ़वाल का प्रवेश द्वार और वर्तमान कोटद्वार-भाबर क्षेत्र 1900 के आसपास खाम स्टेट में आता…

1 month ago