उत्तराखंड राज्य के उधम सिंह नगर जिले के पंतनगर में है भारत का पहला कृषि विश्वविद्यालय. पंतनगर में विश्वविद्यालय का 12,661 एकड़ का क्षेत्र और विशाल यूनिवर्सिटी कैम्पस है. 2002 से पहले विश्वविद्यालय के पास 16,000 एकड़ की भूमि का मालिकाना हुआ करता था. इसमें से लगभग 3,339 एकड़ जमीन औद्योगिक केंद्र बनाने की गरज से उत्तराखण्ड के ‘राज्य औद्योगिक विकास निगम (सिडकुल)’ को हस्तांतरित कर दी गयी. इसके बावजूद क्षेत्रफल की दृष्टि से आज भी पंतनगर विश्वविद्यालय दुनिया का दूसरा बड़ा विश्वविद्यालय है. (Pantnagar University is the pride of Uttarakhand)
गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि विश्वविद्यालय, जिसे पंतनगर विश्वविद्यालय के नाम से भी जाना जाता है, भारत का पहला कृषि विश्वविद्यालय है. जवाहर लाल नेहरू ने 17 नवंबर 1960 को इसे राष्ट्र को समर्पित किया. तब इसे “उत्तर प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय” नाम दिया गया. 1972 में उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री और राजनेता भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की स्मृति में इसका नामकरण “गोविंद बल्लभ पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय” कर दिया गया. इस विश्वविद्यालय को भारत में हरित क्रांति का अग्रदूत माना जाता है. आज़ाद भारत में गांवों के विकास की जो परिकल्पना गढ़ी गयी उसकी इबारत पंतनगर विश्विद्यालय में ही लिखी गयी.
अपनी स्थापना के बाद पंतनगर विश्वविद्यालय जल्द ही उच्च उपज देने वाले बीजों और संबंधित प्रौद्योगिकी के विकास और हस्तांतरण का महत्वपूर्ण केंद्र बन गया. विश्वविद्यालय ने अपनी 16,000 एकड़ भूमि का उपयोग उस समय के सबसे बड़े बीज उत्पादन कार्यक्रमों में से एक ब्रांड नाम पंतनगर सीड्स के तहत शुरू करने के लिए किया, जो ग्रामीण भारत में एक घरेलू ब्रांड बन गया. इस तरह उत्तराखण्ड का एक छोटा सा मामूली कस्बा भारत की काया पलट देने वाली “हरित क्रांति का अग्रदूत” बन गया.
भारत में सर्वपल्ली राधाकृष्णन की अध्यक्षता में गठित भारत के पहले शिक्षा आयोग ने अमेरिकी भूमि-अनुदान मॉडल पर भारत में भिन्न ग्रामीण विश्वविद्यालयों की स्थापना की सिफारिश की. उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत ने इस दिशा में पहला कदम बढ़ाया. 1954 में आईसीएआर के उपाध्यक्ष डॉ केआर दामले की अध्यक्षता में एक इंडो-अमेरिकन टीम को नैनीताल जिले के तराई क्षेत्र पर विश्विद्यालय स्थापित करने पर विचार करने के लिए आमंत्रित किया.
उस समय यह इलाका हिमालय की तलहटी का एक घना, बियाबान जंगल हुआ करता था. इस क्षेत्र का उपयोग सरकार 1947 के बंटवारे के बाद पश्चिमी पाकिस्तान से हिंदू, सिख और अन्य शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए कर रही थी.
दामले की टीम ने इस जगह को विश्विद्यालय के लिए शानदार बताया. इसके बाद कृषि विश्विद्यालय को जमीन पर उतरने के लिए दो वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों— एच एस संधू और एएन झा ने अमेरिकी विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग के मौके तलाशने के लिए अमरीकी दौरे पर भेजा गया.
इलिनोइस विश्वविद्यालय के डीन डॉ एच डब्ल्यू हन्ना के मशविरे के बाद उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए 1956 में भारत सरकार को ठोस प्रस्ताव भेजा. इसके बाद, भारत सरकार, तकनीकी सहयोग मिशन और कुछ अमेरिकी विश्वविद्यालयों के बीच भारत में कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए. इन अमेरिकी विश्वविद्यालयों में टेनेसी विश्वविद्यालय, ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी, कैनसस स्टेट यूनिवर्सिटी, इलिनोइस विश्वविद्यालय, पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी और मिसौरी आदि विश्वविद्यालय शामिल थे. प्रस्तावित विश्वविद्यालय को सलाह देने के लिए इलिनोइस विश्वविद्यालय के साथ अनुबंध किया गया.
इस तरह 17 नवंबर 1960 को भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा विश्विद्यालय को राष्ट्र को समर्पित किया. शुरुआत में विश्वविद्यालय की शिक्षा प्रणाली निर्धारित करने और एक प्रभावी अनुसंधान प्रणाली स्थापित करने में इलिनोइस ने विश्वविद्यालय की मदद की. शुरुआती सालों में इलिनॉय के छह से आठ शिक्षक एक समय में पंतनगर में रहते थे. सहयोगी टीम के एक सदस्य डॉ विलियम थॉम्पसन के अनुसार उनके लिए एक ऐसी जगह पर विश्वविद्यालय शुरू करना असामान्य था जहां कुछ भी न हो. सभी जरूरी भवनों और सुविधाओं का निर्माण जंगल में ही करना था.
इस तरह पंतनगर भारत आज़ाद भारत की दूरदर्शी सरकार और अमेरिका के बीच सफल साझेदारी का प्रतीक भी कहा जा सकता है. अमेरिका ने विश्वविद्यालय ककी कई योजनाओं और कार्यक्रमों को अनुदान भी दिया. इस विश्वविद्यालय की स्थापना ने कृषि शिक्षा के अनुसंधान और विस्तार में क्रांति ला दी. इसने देश में 41 अन्य राज्य कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना का मार्ग भी प्रशस्त किया.
आज भी विश्वविद्यालय भारतीय कृषि क्षेत्र में अपन अभूतपूर्व योगदान दे रहा है. विश्वविद्यालय उत्तराखण्ड राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है. राज्यपाल विश्वविद्यालय के पदेन कुलाधिपति हैं. जिनके द्वारा एक कुलपति की नियुक्ति की जाती है. यह कुलपति ही विश्वविद्यालय के पूर्णकालिक मुख्य कार्यकारी के रूप में कार्य करता है. कुलपति 13 सदस्यीय प्रबंधन बोर्ड की अध्यक्षता करते हैं, जो विश्वविद्यालय का सर्वोच्च कार्यकारी निकाय है.
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