नदियाँ जीवनदायिनी होती हैं. इसीलिए भारतीय परंपरा में इन्हें देवी स्वरूप माना जाता है. भारत में नदियों के संगम को बहुत पवित्र माना जाता है. प्रायः सभी नदियों के संगम महत्वपूर्ण तीर्थस्थल भी हुआ करते हैं. इलाहाबाद के संगम के बाद उत्तराखण्ड के गढ़वाल मंडल के संगमों का विशेष धार्मिक महत्त्व है.
गढ़वाल में सभी नदियों के संगम स्थल प्रयाग कहलाते हैं. इनमें से पांच संगम देश-दुनिया में मशहूर हैं. इन पांच प्रयागों (संगम) को पंचप्रयाग के नाम से भी जाना जाता है.
देवप्रयाग में भागीरथी और अलकनंदा नदियों का संगम होता है. इस संगम के आगे बहने वाली नदी को ही गंगा कहा जाता है. मान्यता है कि भगीरथ के साथ 33 करोड़ देवता भी गंगा को स्वर्ग से उतार लाने के लिए धरती पर अवतरित हुए और उन्होंने देवप्रयाग को ही अपना आवास बनाया. उत्तराखण्ड में अलकनंदा को भागीरथी की बहू भी माना जाता है. यहाँ पर देव नामक व्यक्ति ने सूखे पत्ते चबाकर व एक पाँव खड़े रहकर विष्णु की तपस्या की और उनके दर्शन प्राप्त किये.
रुद्रप्रयाग में मन्दाकिनी तथा अलकनंदा नदियों का संगम होता है. यहाँ पर रुद्रनाथ का प्रसिद्ध मंदिर भी है. जनश्रुति है कि नारद ने यहाँ पर सालों तक शिव की तपस्या की और वरदान स्वरूप गांधर्वशास्त्र प्राप्त किया. यहाँ रूद्र द्वारा नारद को महती वीणा भी दी गयी थी. यहाँ मौजूद शिव के रुद्रेश्वर लिंग के स्वरूप को अलौकिक माना गया है.
अलकनंदा और पिंडर के संगम को कर्णप्रयाग के नाम से जाना जाता है. पिंडर के ही एक अन्य नाम कर्णगंगा के कारण ही इसे कर्णप्रयाग कहा जाता है. इसी स्थान पर करन ने सूर्य की घोर तपस्या कर कवच कुंडल प्राप्त किये थे. कर्ण के ही नाम से इस जगह को कर्णप्रयाग कहा गया.
अलकनंदा और नंदाकिनी नदी का संगम नंदप्रयाग कहलाता है. इस जगह पर उत्तराखण्ड की इष्ट देवी नंदा का मंदिर भी है.
अलकनंदा और धौलीगंगा का संगम विष्णुप्रयाग कहलाता है. इस जगह के दो पर्वतों को शिव का द्वारपाल (जय-विजय) कहा जाता है.
इनके अलावा सोनप्रयाग, केशवप्रयाग, सूर्यप्रयाग, शिवप्रयाग, खांडवप्रयाग, गणेशप्रयाग आदि अन्य प्रयाग भी यहाँ मौजूद हैं.
वाट्सएप में काफल ट्री की पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें. वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…
इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …
तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…
View Comments
Kafaltree loves your all post..Thanks a millions 2 your team..