मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा हिंसा) को रोकने के लिए प्रत्येक जिले में नोडल अफसर तैनात किए जाएंगे. प्रमुख सचिव (गृह) आनंदबर्द्धन ने पुलिस महानिदेशक को इस बाबत आदेश कर दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले माह सभी राज्यों को भीड़ हिंसा रोकने को पुख्ता इंतजाम करने और जिलों में एसपी रैंक के अफसर तैनात करने के साथ ही खुफिया तंत्र को सक्रिय करने के आदेश दिए थे.
गौरतलब है कि विगत दिनों सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिग यानी उन्मादी भीड़ की हिंसा रोकने के मामले में ज्यादातर राज्यों की सुस्ती पर नाराजगी जाहिर की थी .कोर्ट ने सभी राज्यों को एक हफ्ते में कोर्ट के आदेश की अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. इतना ही नहीं कोर्ट ने राज्यों को चेतावनी दी कि अगर उन्होंने एक सप्ताह में अनुपालन रिपोर्ट नहीं दाखिल की तो कोर्ट उनके गृह सचिवों को तलब कर लेगा. उसके बाद से प्रशासन तेजी से इस दिशा में कार्य कर रहा है.
प्रमुख सचिव ने कहा कि जिले में भीड़ की हिंसा के लिए संबंधित अफसर ही जिम्मेदार माने जाएंगे. संविधान में जीवन के अधिकार को मूल अधिकारों की श्रेणी में रखा गया है. भीड़ द्वारा हमला और हत्या को व्यक्तिगत स्वतंत्रता और जीवन के मौलिक अधिकार पर वीभत्स हमले के रूप में देखा जा सकता है. यदि किसी व्यक्ति से कोई अपराध हुआ है तो उसे सजा देने का हक कानून को है, न कि भीड़ को.
गृह विभाग ने पुलिस अफसरों को सोशल मीडिया का दुरुपयोग रोकने के लिए कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए हैं. साथ ही अफवाह फैलाने वालों पर कार्रवाई को भी कहा गया है.
कोर्ट ने दिशा-निर्देश दिए कि हर जिले में नोडल अधिकारी नियुक्त हो और स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया जाए. पिछले पांच सालों में हुई भीड़ हिंसा के मामलों को चिन्हित किया जाए. भीड़ हिंसा से ग्रस्त थानाध्यक्षों को विशेष सतर्कता बरतने ,नोडल अधिकारी इंटेलिजेंस यूनिट और थानाध्यक्षों के साथ नियमित बैठक करने ,मीडिया पर भड़काऊ सामग्री के प्रचार-प्रसार पर रोक का निर्देश दिए गए.
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