Featured

अदालती पचड़े में फंसी चारधाम यात्रा मार्ग परियोजना

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने उत्तराखंड के चारधाम राजमार्ग परियोजना से पर्यावरण संबंधित मंजूरी के निपटारे वाली एक याचिका को एक बड़ी खंडपीठ के हवाले कर दिया. न्यायमूर्ति जवाद रहीम और एस पी वांगडी और विशेषज्ञ सदस्य नागिन नंदा की एक पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में उल्लेख किया है कि मामला जटिल है, इसे एक बड़े खंडपीठ द्वारा सुना जाना चाहिए.

याचिकाकर्ताओ के लिए एनजीटी में बहस करने वाले ग्रीन दून के वरिष्ठ वकील संजय पारेख ने कहा, ‘इस मामले में जो निर्णय हो चुका है अब तक उसे सुना दिया जाना चाहिए था लेकिन अब वह पूरे मामले की फिर से सुनवाई कर रहे हैं जो न्यायिक मानदंडों के खिलाफ है. हम इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रहे हैं.’ पारेख ने कहा, ‘निर्णय में हो रही देरी से आखिरकार स्थानीय जनता को ही दिक्कत हो रही है.’

दरअसल चारधाम प्रोजेक्ट के खिलाफ होने वाली सुनवाई को जस्टिस जवाद रहीम की अध्यक्षता वाली पीठ ने 31 मई को पूरा कर लिया था. जस्टिस जवाद रहीम उस वक्त ट्रिब्यूनल के कार्यवाहक चेयरमैन थे. फैसला अभी रुका हुआ था, लेकिन 9 जून को ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष का पदभार ग्रहण करने वाले जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने निर्णय लिया कि मामले की नई सिरे से सुनवाई होगी.

पीएम नरेंद्र मोदी की 12 हजार करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी चारधाम हाईवे परियोजना कुल 900 किलोमीटर की है. अब तक वन एरिया में 356 किलोमीटर सड़क के चौड़ीकरण का कार्य किया जा चुका है, जिसके लिए 25,303 पेड़ काटे जा चुके हैं .

पर्यावरणीय मानकों व नियमों से बचने के लिए छोटे-छोटे टुकड़ों में सड़कों का चौड़ीकरण किया जा रहा है . जबकि 100 किलोमीटर या उससे अधिक दूरी की सड़क परियोजना में वन मंजूरी के अतिरिक्त पर्यावरण असर मूल्यांकन व पर्यावरण मंजूरी की आवश्यकता होती है .

यूके के शेफील्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें कहा गया है कि भारत, मानव गतिविधियों के कारण घातक भूस्खलन के सबसे प्रभावित देशों में से एक है. रिपोर्ट में कहा गया है कि, एशिया में 20% सबसे घातक भूस्खलन मानव गतिविधियों के चलते हो रहे हैं.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

17 hours ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

18 hours ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

6 days ago

साधो ! देखो ये जग बौराना

पिछली कड़ी : उसके इशारे मुझको यहां ले आये मोहन निवास में अपने कागजातों के…

1 week ago

कफ़न चोर: धर्मवीर भारती की लघुकथा

सकीना की बुख़ार से जलती हुई पलकों पर एक आंसू चू पड़ा. (Kafan Chor Hindi Story…

1 week ago

कहानी : फर्क

राकेश ने बस स्टेशन पहुँच कर टिकट काउंटर से टिकट लिया, हालाँकि टिकट लेने में…

1 week ago