front page

मोदी अपने कार्यकाल के सबसे कमज़ोर दौर में आ चुके हैं?

-प्रशांत टंडन

पिछले चैबीस घंटों के घटनाक्रम आने वाले देश की राजनीति में भूचाल ला सकते हैं. एक के बाद एक तीन घटनायें ऐसी हुई है जिसकी आंच से मोदी आसानी से निकल नहीं पायेंगे.

सबसे पहले अरुण शौरी ने राफ़ेल पर मोदी को अकेले ज़िम्मेदार ठहराया है. कल की प्रेस कांफ़्रेंस में प्रशांत भूषण, अरुण शौरी और यशंवत सिंहा का सीधा इशारा था कि मोदी और अनिल अंबानी के बीच में और कोई नहीं था और राफ़ेल की डील बदलने का फ़ैसला अकेले मोदी का ही था. न एयरफ़ोर्स, न कैबिनेट और न ही रक्षा मंत्री राफ़ेल डील को बदले जाने और अनिल अंबानी की एंट्री के बारे में कुछ भी जानते थे.

पूर्व रिज़र्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने संसदीय समिति को दिये अपने लिखित बयान में सीधे प्रधानमंत्री की तरफ़ इशारा किया है कि उन्होने बड़े घोटालेबाजों के नाम प्रधानमंत्री कार्यालय भेजे थे पर कोई कार्यवाही नहीं हुई. मेहुल चौकसी की प्रधानमंत्री निवास में मौजूदगी सब देख चुके है और मोदी के उससे निजी संबंध भी जब मोदी ने सार्वजनिक तौर पर कहा था “मेहुल भाई यहां बैठे हैं”.

अब लंदन से विजय माल्या का बयान आया है कि भारत छोड़ने से पहले वो जेटली से मिले थे और कर्ज को निबटाने का प्रस्ताव दिया था.

इन तीन कहानियों में हर दिन नयी परते उधड़ेंगी और मोदी की राजनीतिक स्थिति को लगातार कमज़ोर करेंगी.

आर्थिक मोर्चे और तेल की कीमते कम करने में सरकार पूरी तरह से विफ़ल है और इससे निकल पाना अब मुश्किल हो गया है. विदेश नीति का खोखलापन अब साफ़ तौरपर नज़र आने लगा है.

भ्रष्टाचार से सीधे और व्यक्तिगत आरोपों के बाद मोदी का राजनीतिक कद हर दिन कम होता जायेगा.

प्रशांत टंडन वरिष्ठ पत्रकार हैं.
India TV, स्टार न्यूज़ जैसी संस्थाओं में सम्पादकीय पदों पर काम.
यह टिप्पणी उनकी फ़ेसबुक वॉल से साभार.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा

दिन गुजरा रातें बीतीं और दीर्घ समय अंतराल के बाद कागज काला कर मन को…

2 weeks ago

हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़

हरे-घने हिमालयी जंगलों में, कई लोगों की नजरों से दूर, एक छोटी लेकिन वृक्ष  की…

2 weeks ago

भू कानून : उत्तराखण्ड की अस्मिता से खिलवाड़

उत्तराखण्ड में जमीनों के अंधाधुंध खरीद फरोख्त पर लगाम लगाने और यहॉ के मूल निवासियों…

2 weeks ago

यायावर की यादें : लेखक की अपनी यादों के भावनापूर्ण सिलसिले

देवेन्द्र मेवाड़ी साहित्य की दुनिया में मेरा पहला प्यार था. दुर्भाग्य से हममें से कोई…

2 weeks ago

कलबिष्ट : खसिया कुलदेवता

किताब की पैकिंग खुली तो आकर्षक सा मुखपन्ना था, नीले से पहाड़ पर सफेदी के…

3 weeks ago

खाम स्टेट और ब्रिटिश काल का कोटद्वार

गढ़वाल का प्रवेश द्वार और वर्तमान कोटद्वार-भाबर क्षेत्र 1900 के आसपास खाम स्टेट में आता…

3 weeks ago