सुन्दर चन्द ठाकुर

हर पल संतुलन का नाम है जिंदगी

जीवन हाथों में डंडा पकड़े रस्सी पर संतुलन बनाकर चल रहे नट जैसा है. जैसे रस्सी पर चलते रहने के लिए नट को कभी बाईं ओर, तो कभी दाईं ओर झुकना पड़ता है, वैसे ही जीवन की रस्सी पर संतुलन बनाकर आगे चलने के लिए हमें कभी रजस, तो कभी तमस का सहारा लेना पड़ता है. Mind Fit 8 Column by Sundar Chand Thakur

आप पूछेंगे कि ये रजस और तमस क्या हैं? जान लीजिए कि इस सृष्टि की हर चीज में, वह चाहे सजीव हो या निर्जीव, प्राकृतिक रूप से तीन गुण मौजूद होते हैं, जिनके मिश्रण से ही उसका अपना एक खास गुणधर्म बनता है. हर परमाणु का अपना गुणधर्म होता है. परमाणु में इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन होते हैं और मनुष्य में सतो गुण, रजो गुण और तमो गुण. किसी भी खास पल में हमारे भीतर इनमें से कोई एक गुण प्रभावी होता है. जिस वक्त जो गुण प्रभावी होता है, उस वक्त हम वैसे ही हो जाते हैं. Mind Fit 8 Column by Sundar Chand Thakur

तमो गुण यानी तमस का अर्थ है- जो हमें रोके, हमारे भीतर आलस्य पैदा करे, हमें नकारात्मक चीजों की ओर ले जाए. रजो गुण यानी रजस का अर्थ है- जो हमें गति दे, कर्म की ओर भगाए, हमें पॉजिटिव चीजों की ओर ले जाए. सतो गुण का अर्थ है जो हमें संतुलन पर स्थापित रखे. न तो तमस की ओर जाने दे, न रजस की ओर जाने दे. दोनों को साध ले. क्योंकि दोनों ही अपने में अकेले  अपूर्ण है और नुकसान पहुंचाते हैं. Mind Fit 8 Column by Sundar Chand Thakur

एक ओर इतनी गरीबी है कि एक वक्त का भोजन खाने को पैसा नहीं. ऐसी गरीबी में गुजरा जीवन पीड़ा ही देगा. दूसरी ओर इतना अथाह पैसा है कि आदमी को लगता है कि वह पैसों से कुछ भी खरीद सकता है. पर पैसों से कुछ भी कहां खरीदा जा सकता है. एक डायबिटीज ही ठीक नहीं हो पाती. दोनों ही अतियां ठीक नहीं, क्योंकि वे हमें जीवन का परम स्वाद नहीं लेने देतीं. अब अगर पैसा भी भरपूर है और जीवन सिर्फ पैसे कमाने के लिए खर्च नहीं किया जा रहा, यानी गरीब जैसी मेहनत है और अमीर जैसा ऐश्वर्य, तो यह निश्चित ही ठेठ गरीबी और खालिस अमीरी में जिए जा रहे जीवन से बेहतर होगा. यही सतो गुण है. वह दो अतियों के बीच संतुलन बनाना सिखाता है. वह न महेश्वर जैसा विनाशक है और न ब्रह्मा जैसा रचयिता. वह विष्णु की तरह हमारी दुनिया को थिर रखता है, संतुलन में टिकाए रखता है. यह जो संतुलन की क्रिया है, यह हर पल हमारे जीवन में चलती है. अगर न चले, तो हम जिंदगी की रस्सी से नीचे गिर जाएं. अगर दोपहर में भोजन बहुत स्वादिष्ट था और आपसे रोके न रुका गया, आपने ज्यादा भोजन कर लिया, तो कोई बात नहीं. अब आप रात के भोजन से बैलेंस कर लें. रात को बहुत कम भोजन लें.

शरीर को महसूस करके जानें कि उसे कितने भोजन की जरूरत है. जरूरत है भी या नहीं. अगर जरूरत नहीं, तो भोजन न करें. ऑफिस के प्रोजेक्ट में कुछ दिनों से बहुत व्यस्त थे और आपको रात को सोने को भी नहीं मिला, तो कोई बात नहीं. ऑफिस का काम जरूरी है. आपका वेतन और तरक्की उस पर निर्भर करती है. लेकिन एक प्रोजेक्ट खत्म हुआ, तो कुछ दिन आराम कर लें, अपनी नींद पूरी करने का भी जतन करें. आप अगर एक के बाद दूसरे प्रोजेक्ट में मशगूल रहोगे और नींद को लगातार नजरअंदाज करोगे, तो जल्दी ही आपको इसके घातक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. Mind Fit 8 Column by Sundar Chand Thakur

आप निश्चित ही ऐसे खराब परिणाम के लिए इतनी मेहनत नहीं कर रहे थे. लेकिन आप रजस के असर में आ गए थे और तमस को आपने खारिज कर दिया था. ऑफिस के बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हों और आप निश्चिंत होकर एक सामान्य जीवन जी रहे हों, तो यह दूसरी अति हुई. तब आप तमस के प्रभाव में आकर रजस को खारिज करेंगे. दोनों ही स्थितियां हमारे लिए नुकसानदायक हैं. हम जब दोनों स्थितियों के बीच संतुलन साधेंगे, तो ही हमारे जीवन में सत्व का प्रवेश होगा. रस्सी पर संतुलन बनाकर चलते हुए नट को हर पल सतर्क रहने की जरूरत होती है. क्योंकि किसी भी पल उसके शरीर का भार किसी एक ओर झुक सकता है और अगर उसने अगले ही पल उसे विपरीत दिशा में नहीं खींचा, तो वह जीवन की रस्सी से नीचे गिर सकता है. उस नट की तरह ही जीवन की रस्सी पर चलते हुए यह बहुत जरूरी है कि हम हर पल अपने हर ऐक्शन के प्रति सतर्क रहें.

कुछ दिनों से आप बहुत व्यस्त थे. अपनी बूढ़ी मां से आप बात नहीं कर सके. अब काम की इमरजेंसी खत्म हो गई, तो मां के पास जाओ. उससे बातें करो. तीन दिनों से व्यायाम नहीं किया. समय ही नहीं था. अब अगर समय मिला है, तो पांच दिन तक नियम से रोज व्यायाम कर लो, क्योंकि फिर कोई न कोई व्यस्तता आने ही वाली है, फिर व्यायाम मिस होने ही वाला है. तमस और रजस के बीच संतुलन बनाने की यह प्रक्रिया हर पल, हर दिन चलती है. जीवन का अभीष्ट इनके संतुलन में छिपा है. वही सर्वश्रेष्ठ है. वही सत्व है.

-सुन्दर चंद ठाकुर

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सुन्दर चन्द ठाकुर

कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.

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