Featured

शिवलिंग का पूजन उत्तराखंड के इस धाम से शुरू हुआ था

शिव को अनेक रूपों में पूजा जाता है उन्हीं रूपों में एक है शिवलिंग. पौराणिक कथानुसार माना गया है कि सबसे पहले शिव लिंग का पूजन उत्तराखंड की पवित्र भूमि से प्रारंभ हुआ. अल्मोड़ा जिले से 35 किमी की दूरी पर स्थित जागेश्वर धाम से जुड़ी मान्यता के अनुसार सर्वप्रथम शिव लिंग का पूजन इसी धाम पर किया गया.
(Legend of Shivling Worship)

भगवान शिव अपने ससुर दक्ष प्रजापति का वध करने के पश्चात तप करने को निकले थे. अपनी पत्नी सती की भस्म शरीर में अलंकृत कर भगवान शिव जागेश्वर मंदिर के समीप स्थित दंडेश्वर नामक स्थान पर समाधि पर बैठे.

देवदार के घने इन्ही जंगलों के बीच सप्तऋषि भी सपत्नी रहा करते थे. एक दिन जब सप्तऋषियों की पत्नियाँ जंगल की ओर गयी तो उन्होंने शिव को समाधिस्थ बैठा पाया. शिव के इस रूप को देखकर सप्तऋषियों की पत्नियाँ मूर्छित हो गयी.
(Legend of Shivling Worship)

देर तक आश्रम न लौटने पर ऋषियों ने जंगल का रुख किया. वहां अपनी पत्नियों को मूर्छित अवस्था में देख ऋषियों ने किसी अनहोनी की कल्पना कर ली. ऋषि, समाधिस्थ शिव को देख अत्यंत क्रोधित हुये. क्रोध में ऋषियों ने शिव को लिंग विच्छेद का श्राप दिया.

इस श्राप के कारण पूरे संसार में अंधकार छा गया और ब्रह्मांड में उथल पुथल मच गयी. सभी देवताओं ने शिव के क्रोध की अग्नि से बचने के लिये उनका मनन मानन शुरु किया. समस्या के समाधान के लिये ऋषियों से शिव सदृश्य लिंग की स्थापना करने की बात कही गयी.

ऋषियों ने शिव लिंग की स्थापना कर शिव की आराधना प्रारंभ की. उसी समय से शिव के लिंग स्वरूप की पूजा प्रारंभ हुई. माना जाता है कि ऋषियों और देवताओं द्वारा जागेश्वर स्थित शिवलिंग की ही स्थापना की गयी थी.
(Legend of Shivling Worship)

काफल ट्री डेस्क

इसे भी पढ़ें: विष्णु द्वारा स्थापित बारह ज्योतिर्लिगों में से एक है जागेश्वर

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

2 hours ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

3 hours ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

5 days ago

साधो ! देखो ये जग बौराना

पिछली कड़ी : उसके इशारे मुझको यहां ले आये मोहन निवास में अपने कागजातों के…

1 week ago

कफ़न चोर: धर्मवीर भारती की लघुकथा

सकीना की बुख़ार से जलती हुई पलकों पर एक आंसू चू पड़ा. (Kafan Chor Hindi Story…

1 week ago

कहानी : फर्क

राकेश ने बस स्टेशन पहुँच कर टिकट काउंटर से टिकट लिया, हालाँकि टिकट लेने में…

1 week ago