आज आपसे बेहद खास और जरूरी विषय art of public speaking पर बात करने जा रहा हूं. आप में कोई पहले से ही स्थापित स्पीकर हो या कोई ऐसा हो जो कि लोगों के बीच में अपनी बात रखते हुए थोड़ा नर्वस हो जाता है, यह सेशन आप सबके लिए है. अगले 20 मिनट में हम effective public speaking के मुख्य सिद्धांतों key principles पर बात करेंगे. और आपकी इस स्किल को चमकाने के प्रैक्टिल तरीकों को explore करेंगे.
शुरू करने से पहले मैं बता देना चाहता हूं कि स्कूल टाइम में मैं बहुत बुरा स्पीकर था. क्लास 9th में मैं जब पहली बार एक स्पीच रटकर मंत्र पर गया, तो गुड मॉर्निंग प्रिंसिपल सर टीचर्स एंड माई फेलो स्टूडेंट्स. टुडे आई एम गोइंग टु स्पीक अबाउट पंडित जवाहर लाल नेहरू. मेरी गाड़ी बस यहीं तक चल पाई. इसके बाद मेरे पैर कांपने लगे. आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा और दिमाग में सन्नाटा भर गया. मैं दो मिनट तक ऐसे ही खड़ा रहा. फिर हमारे एक टीचर ने दो स्टूडेंट्स को ऊपर भेजा जो मुझे सहारा देकर ग्रीन रूम में ले गए. कितनी बेइज्जतीी मुझे लगी मैं बता नहीं सकता. आज भी याद करता हूं तो खून जम जाता है. लेकिन छह महीने प्रैक्टिस के बाद कट टु एनसीसी के नैशनल कैंप में अपनी स्पीच के कारण ही मैं उत्तरप्रदेश की जूनियर डिविजन का बेस्ट कैडेट चुना गया. तो चलें बात शुरू करते हैक्ं, जैसे मैंने सुधारा वैसे ही कोई भी सुधार सकता है. पर जरा जानें तो सही कि सुधारना क्या क्या है. अच्छी स्पीच के लिए चाहिए क्या क्या होता है.
दोस्तो सबसे पहले तो यह समझना बहुत जरूरी है कि पब्लिक स्पीकिंग एक आर्ट और स्किल दोनों है. किसी भी दूसरी आर्ट की तरह इसमें पारंगत होने के लिए भी आपको लगातार प्रैक्टिस करने, समर्पण से उसे सीखने और उसमें बेहतर होने की इच्छा रखने की जरूरत है. इस बुनियादी जरूरत को पूरा किए बिना आप कुछ नहीं कर पाओगे. तो आर्ट ऑफ पब्लिक स्पीकिंग की प्रैक्टिस कैसे की जाए?
पब्लिक स्पीकिंग की प्रेक्टिस करने का एक बहुत बढ़िया तरीका structured rehearsal का है. इसमें आपको जो बोलना है उसका एक स्ट्रक्चर तैयार करना होता है. सबसे पहले तो आप जो भी बोलने वाले हैं उसके मुख्य बिंदुओं को एक तार्किक sequence देकर एक खाका तैयार कर लो. उसके बाद शीशे के सामने खड़े होकर अपनी स्पीच को ऊंची आवाज में देने का अभ्यास करो. बेहतर होगा कि इसे रेकॉर्ड कर लें ताकि आपको पता चले कि कहां आपका flow गड़बड़ हो रहा है. जहां जहां टोन में, बोलने के पेस में या body language में गड़बड़ दिखे वहां-वहां एडजस्टमेंट करके गड़बड़ी को दुरुस्त करें.
याद रखें कि आपकी स्पीच को प्रभावशाली बनाने में आपकी बॉडी लैंग्वेज एक अहम भूमिका निभाती है. एक तरह से वही आपके audience पर प्रभाव को तय करती है. इसलिए थोड़ा कंधे खोल के खड़े हों, एकदम सीधे रहें, आगे न झुकें और अपने points को समझाने के लिए चेहरे पर gestures का भी इस्तेमाल करें. अपना आत्मविश्वास दिखाने के लिए और ऑडियंस से कनेक्शन बनाने के लिए उनके साथ eye contact बनाए रखना भी बहुत जरूरी है. आपकी नजर सचग्लाइट की तरह सामने बैठे ऑडियंस के एक छोर से दूसरे छोर तक जानी चाहिए. जब आप आंख मिलाकर बोलते हो, तो सुनने वाला आपसे कनेक्टेड महसूस करता है.
दोस्तो यह बहुत जरूरी है कि आपको अपने ऑडियंस के बारे में कुछ बुनियादी बातें पता हों. आप अगर अपने ऑडियंस को नहीं जानेंगे, तो उन्हें प्रभावित कैसे करेंगे. थोड़ा समय निकालकर उनकी रुचियों, उनके preferences और वे आपसे क्या उम्मीद करते हैं, इन सबके बारे में जानकारी इकट्ठा करें. इस संसार में हर व्यक्ति अपनी जरूरतों को पहली प्राथमिकता देता है. एक पब्लिक स्पीकर के रूप में आपकी जरूरत ऑडियंस को प्रभावित करना है जबकि ऑडियंस की जरूरत आपसे कुछ जानना, कुछ सीखना है. आप उन्हें प्रभावित तभी कर पाएंगे जबकि आप उनकी जरूरत पूरा करेंगे.
चलिए अब जरा अपनी घबराहट को कंट्रोल करने की बात करते हैं. पब्लिक के सामने बोलते हुए थोड़ा नर्वस होना बहुत नेचुरल है. लेकिन ऐसे तरीके हैं जिनसे तुम अपनी घबराहट को दूर कर सकते हो और अपने कॉन्फिडेंस को बढ़ा सकते हो. अगर तुम अपनी सांस पर ध्यान दो या बॉडी को ही महसूस करने लगो माइंडफुलनेस के जरिए, तो इतने भर से ही तुम पाओगे कि तुम्हारा कॉन्फिडेंस लौट आया है. तुम विजुअलाइजेशन टेक्नीक का भी इस्तेमाल कर सकते हो. कॉन्फिडेंस बढ़ाने के तरीकों और विजुअलाइजेशन, दोनों पर ही मैं dedicated videos बना चुका हूं. please go and watch them first. यहां मैं एक बार फिर विजुअलाइजेशन के बारे में बता देता हूं कि आपको अपनी स्पीच को सफल बनाने के लिए कैसे इस टेक्नीक का उपयोग करना है.
दोस्तो विजुअलाइजेशन टेक्नीक अपने में बहुत effective टेक्नीक है. आपको रात को सोने से पहले आंख बंद करते ही खुद को स्पीच देते हुए देखना है. आप जिस प्रभावी तरीके से स्पीच देना चाहते हैं, जैसी बॉडी लैंग्वेज और जैसे कॉन्फिडेंस के साथ स्पीच देना चाहते हैं, आपने उसे विजुअलाइज करना है. आपकी स्पीच सुनते हुए ऑडियंस पर जैसा प्रभाव पड़ते देखना चाहते हैं, वह भी विजुअलाइज करें और अंत में स्पीच खत्म होने के बाद ऑडियंस से तालियों की जैसी गड़गड़ाहट सुनना चाहते हैं, उसे भी विजुअलाइज करके सुनें. जब आप यूं विजुअलाइज करते हैं, तो सब कुछ आपके subconscious mind में जाकर दर्ज हो जाता है और ऐन समय पर यानी जबकि आप स्पीच देने के लिए मंच पर जाते हैं, आपका subconscious mind जैसी तस्वीरें उसके पास भेजी गई होती हैं, reality को उन तस्वीरों के मुताबिक ही unfold करता है और आप एक्चुअली एक बहुत ही effective स्पीच देते हुए दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट से अभिभूत होते हो. जो कुछ आपने विजुअलाइज किया था, वह वास्तविकता बनकर आपके सामने अवतरित होता है. यह जादू नहीं दोस्तो साइंस है. रात को सोने से पहले अगर आपको विजुअलाइज करने में दिक्कत है, तो घर के किसी शांत कोने में ध्यान में बैठकर भी आप विजुअलाइज कर सकते हैं.
दोस्तो बहुत जरूरी है कि आपके ऑडियंस को आप बहुत जेनुइन लगो. याद रखो कि audience को engage करने के लिए authenticity बहुत जरूरी है. बिना जेनुइन हुए, बिना sincere हुए और जिस भी विषय पर आप बात करने वाले हो, उसे लेकर passionate हुए बिना आप पब्लिक का मन नहीं मोह सकते. आप ही में जोश नहीं होगा तो सुनने वालों में जोश कहां से आएगा. सुनने वालों से कनेक्ट बनाने के लिए कुछ निजी किस्से सुनाए जा सकते हैं और ऐसी कहानियां जो उनके साथ मानवीय स्तर पर relate करती हैं. इसके लिए आपको active listening की प्रैक्टिस करनी चाहिए. एक्टिव लिसनिंग ही आपको दर्शकों, श्रोताओं के साथ ज्यादा जोड़ेगी और आपका अच्छा rapport बनाएगी. जहां पर आपको अपनी कमजोरी या अपनी कम नॉलेज का अहसास हो, तो उसे दिखाना बुरा नहीं क्योंकि तब आप नकली और फूहड़ नहीं लगते बल्कि असली और जेनुइन लगते हो. वह आपकी सब्जेक्ट को लेकर नॉलेज हो या आपकी उसे लेकर understanding आप जरा भी नकली बनते हैं, झूठे बनते हैं, तो आपकी बॉडी लैंग्वेज, आपकी आवाज में छिपा low confidence और आपकी हकलाहट ही सच्चाई बयान कर देती है. कोशिश करें कि आप जरा भी दिखावा न करें ताकि आपकी authenticity और credibility और बढ़े और आपको पब्लिक स्पीकिंग के फील्ड में एक प्रभावी शख्सियत के रूप में पहचाना जाने लगे.
दोस्तो ऑडियंस के दिलोदिमाग पर कब्जा करने के लिए storytelling एक जबरदस्त tool है. अपना narrative ऐसे क्राफ्ट करें जो आपकी मुख्य बातों को सामने लाए और ऑडियंस की भावनाओं, उनके इमोशंस को जगाए. अपने सुनने वालों के दिमाग में एकदम जीवंत तस्वीरें बनवाएं, उनके भीतर sensory reaction पैदा करें. स्टोरीटेलिंग में होता ही यह है कि आप शुरू से ही ऑडियंस को बांध देते हो. introduction ही ऐसा दो कि शुरू से ही ऑडियंस आपकी बातों की गिरफ्त में आ जाए. इस बात का खयाल रखें कि आप एक नियत पेस यानी गति के साथ आगे बढ़ रहे हैं और बीच-बीच में सस्पेंस और टेंशन भी क्रिएट कर रहे हैं. बेहतर होगा कि स्टोरी टेलिंग में आपके कैरेक्टर्स मजेदार हों और वे मजेदार बातें करें. इन चरित्रों को जीवंत बनाने के लिए आपको उायलॉग्स का भी इस्तेमाल करना चाहिए. इन डायलॉग्स को बोलते हुए अभिनेताओं की तरह अगर आप भ्ज्ञी अपनी आवाज में आरोह-अवरोह यानी थोड़ा उतार-चढ़ाव ला पाएं, अपने चेहरे और बॉडी के gestures और postures में भी थोड़ा बदलाव लाते रहें, तो यह सब स्टोरीटेलिंग के dynamics को बढ़ा देता है और ऑडियंस को बांधकर रखता है.
दोस्तो क्या आपने कोई खिलाड़ी देखा है, जो बिना प्रैक्टिस के बड़ा खिलाड़ी बन गया, क्या आपने कोई गायक देखा है जो बिना रियाज के गायक बन गया, इसी तरह अगर आप अच्छे पब्लिक स्पीकर बनना चाहते हैं, तो आपको रिहस्र्ल तो करनी ही होगी. जितना आप रिहर्सल करेंगे, उतना ही आप comfortable औीर confident होते जाएंगे. अपनी स्पीच को तब तक रिहर्स करें जब तक कि उसे बिना प्रयास के न देने लगें. जिस विषय पर बोल रहे हैं, उसकी नॉलेज के साथ कोई समझौता न करें क्योंकि रटी हुई स्पीच में वो बात नहीं होती, जो मन से दी गई स्पीच में होती है. नॉलेज होगी तभ्ज्ञी आप स्पीच से खेल पाओगे वैसे ही जैसे एक फुटबॉल का धुरंधर खिलाड़ी बॉल से खेलता है. दोस्तो अब मैं अपने विडियो के अंत में आ गया हूं. इस बात को जान लें कि प्रैक्टिस और समर्पण के साथ आप पब्लिक स्पीकिंग की कला को बहुत अच्छी तरह सीख सकते हो और इसमें माहिर भी बन सकते हो. मैंने ऊपर जो बातें बताई हैं, अगर आप उन पर ध्यान दो, उनका अभ्यास करो, तो कोई वजह नहीं कि आप अपने सामने बैठे लोगों को अपनी पावरफुल स्पीच से मंत्रमुग्ध नहीं कर पाएँगे.
सुन्दर चन्द ठाकुर
कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.
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