आज मजदूर दिवस है अंग्रेजी में कहें तो लेबर्स डे. भारत समेत विश्व के 80 देशों में आज मजदूरों की छुट्टी होगी. क्योंकि मामला छुट्टी का है सो यह जानना बेहद जरुरी है कि मजदूर होता कौन है?
नब्बे तक के दशक तक की फिल्मों के आधार पर मजदूर होने के लिये दो बेसिक जरूरत हैं पहली सिर पर बाप का साया न होना, दूसरी बीमार बूढी मां. मजदूर की तनख्वा उतनी कि घर में एक वक्त का चूल्हा जल सके बोनस इतना कि मां के लिये एक साड़ी आ सके. बिन ब्याही बहिन और मालिक की घमंडी बेटी मजदूर के जीवन के दो अन्य अनिवार्य सितारे होते थे.
वर्तमान सामाजिक परिस्थिति में सामान्य धारणा के अनुसार मजदूर उसे कहा जायेगा जो घर बनाने के लिये ईट, रेता ढो रहा है, रिक्शा चला रहा है, पत्थर फोड़ रहा है, दूसरों के खेतों में काम कर रहा है, फैक्ट्री में बोझा ढो रहा है या कोई भी ऐसा काम कर रहा है जिसमें प्रत्यक्ष रूप से शारीरिक बल की आवश्यकता हो.
कुल मिलाकर शारीरिक श्रम करने वाला कोई भी आदमी या औरत जिससे कितने भी घंटे काम कराया जाय, जिसे कभी भी और किसी के भी द्वारा न केवल डांटा जा सके बल्कि जिसे भद्दी गाली दी जा सके, जिसे एक-एक रुपया कमाने के लिये बस पसीना बहाना पड़े, जिसकी मेहनत की गणना केवल पसीने से की जा सके, जिसकी वर्दी का फट्टे-हाल होना जरुरी हो वह एक मजदूर.
मजदूर जिनके बच्चे उनके संघर्ष की कहानियां किसी किताब में नहीं पढ़ सकते, जो मां अपने बच्चों की मां पर लिखी कविता नहीं पढ़ सकती, जो पिता अपने बच्चे की अखबार में छपी ख़बर बस सुन सकता है, उन सबके लिये आज मजदूर दिवस है उन सब की आज छुट्टी है.
बावजूद इसके आज सड़कों पर रिक्शा चलाते, शहरों से गांवों तक मकान बनाते, खेतों में मजदूरी करते, घरों में बर्तन धोते मजदूर मिलेंगे. जहां आप नजर दौड़ाएं वहां मजदूर काम करते मिलेंगे. लेकिन भारत समेत 80 देशों में आज मजदूरों की छुट्टी होगी. फिर कौन से ऐसे मजदूर हैं जिनकी आज छुट्टी होगी.
इन छुट्टी वाले मजदूरों का नाम है इंजीनियर. देश में आज कोई भी इंजिनियर काम नहीं करेगा. जो भी आज इंजीनियरिंग के डिप्लोमा, सर्टिफिकेट या डिग्री के आधार पर नौकरी कर रहा है आज काम नहीं करेगा. कम से कम भारत में तो यही चलन है कि 1 मई को मजदूर दिवस के दिन ख़ुशी की लहर केवल और केवल इंजीनियर्स में होती है. जिसके इतिहास से उन्हें कोई मतलब नहीं है मलतब है तो एक दिन की छुट्टी से.
– गिरीश लोहनी
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