हिलजात्रा एक ऐसी परंपरा जो पिछले 500 सालों से पिथौरागढ़ के कुमौड़ गाँव में चली आ रही है जिसे कुमौड़ के महर अपने पुरखों के समय से मनाते हैं. हिलजात्रा की यात्रा के सूत्र तिब्बत से शुरू हो नेपाल और फिर पिथौरागढ़ से जुड़े हैं जिसमें नेपाल के राजा हैं कुमौड़ के महर भाई हैं, शिव हैं उनकी जटा से उत्पन्न हुआ लटेशवर (लखिया बाबा) है, दक्ष प्रजापति हैं, उमा और महेश्वर हैं.
(Kumod Village Hilljatra Pithoragarh 2024)
हिलजात्रा की पूरी कहानी बेहद दिलचस्प है और उससे ज्यादा दिलचस्प है हिल जात्रा को अपनी आँखों के सामने आज के दौर में देखना. मुखौटे लगाए पात्रों से भरी हिल जात्रा जैसा उत्सव हिमालय में मनाए जाने वाले उत्सवों में सबसे अनूठा, रोमांचकारी और आस्था से भरा है.
हिलजात्रा को देखना ज़िंदगी में कभी न भूलने वाला अनुभव होता है, जब लखिया बाबा का आगमन लोगों से खचाखच भरे कुमौड़ के मैदान में होता है तो एक अलग ही ऊर्जा महसूस की जा सकती है.
(Kumod Village Hilljatra Pithoragarh 2024)
आस्था से भरे इस मैदान में लोगों के सैलाब के बीच लखिया बाबा का नृत्य अकल्पनीय होता है वो उछल-उछल कर लोगों के बीच उत्साह, ऊर्जा का संचार करते हैं उन्हें आशीर्वाद देते हैं.
लोग सालभर से लखिया बाबा और हिल जात्रा का इंतज़ार करते हैं. इस बुधवार को पिथौरागढ़ के कुमौड़ में संपन्न हुए हिलजात्रा के ताज़ा फोटोग्राफ :
(Kumod Village Hilljatra Pithoragarh 2024)
जयमित्र सिंह बिष्ट
अल्मोड़ा के जयमित्र बेहतरीन फोटोग्राफर होने के साथ साथ तमाम तरह की एडवेंचर गतिविधियों में मुब्तिला रहते हैं. उनका प्रतिष्ठान अल्मोड़ा किताबघर शहर के बुद्धिजीवियों का प्रिय अड्डा है. काफल ट्री के अन्तरंग सहयोगी.
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