सीबीआई के निवर्तमान निदेशक और 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के विरुद्ध मीट कारोबारी मोइन कुरैशी के मामले में रियायत हेतु रिश्वत लिए जाने का अभियोग पंजीकृत किए जाने के उपरांत सीबीआई संगठन अचानक चर्चा में आ गया है और केंद्र सरकार ने 23 अक्टूबर की रात्रि 2:00 बजे दोनों ही अधिकारियों को लंबी छुट्टी में भेजे जाने के आदेश के बाद संयुक्त निदेशक स्तर के अधिकारी एम. नागेश्वर को सीबीआई का कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया है इस संग्राम के बाद श्री आलोक वर्मा में सर्वोच्च न्यायालय का रुख कर लिया है और उनके मामले में शुक्रवार यानी 26 अक्टूबर को सुनवाई नियत है. सीबीआई जैसी ख्यातिलब्ध संस्था में चले इस घमासान के बाद लोगों की रुचि सीबीआई मे बढ़ी है.
आइए जानते हैं कैसे बनी सी.बी.आई.?
सबसे पहले वर्ष 1941 में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारतीय युद्ध विभाग और आपूर्ति विभाग के मध्य आपूर्ति में किए गए घोटाले की जांच हेतु एक विशेष पुलिस प्रतिष्ठान की स्थापना की गई जो कि प्रारंभ में युद्ध विभाग के अधीन था. इस प्रतिष्ठान द्वारा आपूर्ति विभाग और युद्ध विभाग के मध्य हुए आपूर्ति करार मे हुए भ्रष्टाचार की एक शानदार जांच संपन्न की. इस जांच की विश्वसनीयता के बाद देश में केंद्र सरकार के अन्य प्रतिष्ठानों में भ्रष्टाचार तथा अन्य मामलों पर एक जांच एजेंसी की आवश्यकता महसूस की गई जिसके तहत वर्ष 1946 में दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम/ दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत एक केंद्रीय जांच एजेंसी विशेष पुलिस प्रतिष्ठान का गठन किया गया. जिसे अब गृह मंत्रालय के अधीन ला दिया गया प्रारंभ में इस जांच एजेंसी के दायरे में केंद्र सरकार द्वारा अग्रसारित कुछ विशेष मामलों की ही जांच की जाती थी.
धीरे धीरे इस जांच एजेंसी की विश्वसनीयता बढ़ती गई और 1 अप्रैल 1963 को विशेष पुलिस प्रतिष्ठान का नाम बदलकर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो सेंट्रल ब्यूरो आफ इन्वेस्टिगेशन रखा गया. श्री डी. पी. कोहली इसके पहले निदेशक बने. सीबीआई के भ्रष्टाचार तथा अन्य मामलों की जांच के दायरे में केंद्र सरकार के समस्त कार्यालय सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठान और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक स्वत: शामिल है. लेकिन किसी राज्य सरकार की अनुशंसा और सीबीआई की स्वीकृति के उपरांत भारतवर्ष के किसी भी राज्य में सीबीआई के कार्य क्षेत्र का विस्तार हो सकता है या किसी विशेष प्रकरण अथवा मामले की विवेचना सर्वोच्च न्यायालय तथा राज्यों के उच्च न्यायालय भी सीबीआई को हस्तांतरित कर सकते हैं.
सीबीआई में वर्तमान में 7274 कार्मिकों की स्वीकृति है जिसमें बड़ी संख्या में विधि अधिकारी तथा अकाउंट सेवा के कर्मचारी भी शामिल हैं. सी.बी.आई. में 4000 निरीक्षकों का जांच दल है. सी.बी.आई .की प्रशिक्षण अकादमी गाजियाबाद में है. सी.बी.आई. का वार्षिक बजट लगभग 700 करोड़ है. आज सी.बी.आई. देश की सबसे विश्वसनीय अनुसंधान इकाई है. यह अलग बात है समय-समय पर सीबीआई पर सत्ता रूढ दल के पक्ष में एक तोते के रूप में कार्य करने के आरोप लगे हैं लेकिन सीबीआई की स्वायत्तता बनी रहे इसके लिए केंद्रीय सतर्कता अधिनियम में सीबीआई निदेशक की नियुक्ति प्रक्रिया में वर्ष 2003 के बाद नेता प्रतिपक्ष सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भी प्रधानमंत्री के साथ चयन समिति का सदस्य नामित किया है इन तीनों की सहमति के बाद ही सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति होती है. यह स्वाभाविक है कि हटाने पर भी इन तीनों की सहमति आवश्यक है. सीबीआई की स्वायत्तता और निदेशक की नियुक्ति को लेकर विनीत नारायण बनाम यूनियन ऑफ इंडिया वर्ष 1993 में सर्वोच्च न्यायालय ने महत्वपूर्ण दिशानिर्देश जारी किए हैं.
अधिकांश राज्यों में सीबीआई के क्षेत्रीय कार्यालय खोले गए हैं. यह सभी कार्यालय मुख्य रूप से भ्रष्टाचार निवारण के उद्देश्य से खोले गए हैं. जहां भ्रष्टाचार के मामलों की सीधे शिकायत दर्ज होती है. उत्तराखंड का सीबीआई का क्षेत्रीय कार्यालय देहरादून में स्थित है.
-काफल ट्री डेस्क
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