इतिहास

जिम कार्बेट और जिला चम्पावत

जब कभी चम्पावत के इतिहास की बात होती है तो उसमें जिम कार्बेट का नाम जुड़ ही जाता है. कार्बेट का नाम चम्पावत के इतिहास में बड़े आदर के साथ लिया जाता है. कुमाऊँ में जन्में एवं पले-बढे कार्बेट चम्पावत के समाज में खूब लोकप्रिय थे. चम्पावत के इलाके में नरभक्षी बाघों आतंक के चलते कार्बेट यहां खूब रहे.
(Jim Corbett Champawat District)

1907 में  जिम कार्बेट ने नरभक्षी बाघों के शिकार की शुरूआत चम्पावत से ही की थी. कार्बेट ने उस दौर में नीड़, बोयल, गुरखोली, ठूलाकोट, ल्वारगी, बकोड़ा, सोराई आदि गांवों में नरभक्षी बन चुके बाघों को मौत के घाट उतारा था. दावा किया जाता है की कार्बेट ने चम्पावत में सात नरभक्षी बाघों को मौत के घाट उतारा था.

अपनी किताब माई इण्डिया में कार्बेट ने चम्पावत के लोकजीवन पर लिखा उन्होंने तामली गांव के लोगों द्वारा किये स्वागत के बारे में कार्बेट लिखते हैं- मुझे यह जानकर अक्सर आश्चर्य होता है कि दुनिया के किसी छोटे भाग में जब एक अजनबी जाता है जिसके वहां आने का कारण वहां के लोगों को नहीं पता है फिर भी वहां के लोगों द्वारा किया जाने वाला वैसा आतिथ्य सत्कार मिलना सम्भव न होगा जैसा कुमाऊँ में मिलता है?
(Jim Corbett Champawat District)

टेम्पल टाइगर देवीधूरा के बाराही मंदिर के पास जंगल रह रहे उस शेर के शीर्षक पर लिखी पुस्तक है जिसको वे सात-आठ प्रयासों के बावजूद भी कार्बेट मार न सके. कार्बेट को बाराही मंदिर के पुजारी ने चुनौती दी थी कि इस शेर को कोई नहीं मार सकता. कार्बेट ने पेड़ में बने मचान से नीचे खड़े बाघ को मारने के लिए चार बार बंदूक का ट्रिगर दबाया लेकिन गोली नहीं चल पाई. संयोग भी ऐसा हुआ कि न कार्बेट न अन्य कोई  इस शेर को मारने में कामयाब हुआ. मंदिर के पुजारी से भी कार्बेट के मित्रवत सम्बन्ध थे.

कार्बेट की किताबों से पता चलता है कि वह स्थानीय मान्यताओं से ख़ुद को अलग नहीं कर पाते थे. मसलन कार्बेट द्वारा इस्तेमाल गार्जियन एंजल का अर्थ उस सुरक्षा दूत से है जिसकी कृपा से कोई व्यक्ति मर नहीं सकता. कुमाऊं क्षेत्र में यदि ईष्ट देवता का अर्थ देखा जाय तो वह ऐसे विशेष व्यक्ति हैं जिनकी कृपा से व्यक्ति सुरक्षित महसूस करता है.

चम्पावत के लोक में मौजूद तंत्र-मंत्र के बारे में जिम कार्बेट ने अपनी किताब में लिखा है –

कालि पार को कलुवा ढोली सोर को बाघ,
तै बाघ मारियाँ का दिन मैस दिया छाक.

(Jim Corbett Champawat District)

-काफल ट्री फाउंडेशन

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा

दिन गुजरा रातें बीतीं और दीर्घ समय अंतराल के बाद कागज काला कर मन को…

1 week ago

हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़

हरे-घने हिमालयी जंगलों में, कई लोगों की नजरों से दूर, एक छोटी लेकिन वृक्ष  की…

2 weeks ago

भू कानून : उत्तराखण्ड की अस्मिता से खिलवाड़

उत्तराखण्ड में जमीनों के अंधाधुंध खरीद फरोख्त पर लगाम लगाने और यहॉ के मूल निवासियों…

2 weeks ago

यायावर की यादें : लेखक की अपनी यादों के भावनापूर्ण सिलसिले

देवेन्द्र मेवाड़ी साहित्य की दुनिया में मेरा पहला प्यार था. दुर्भाग्य से हममें से कोई…

2 weeks ago

कलबिष्ट : खसिया कुलदेवता

किताब की पैकिंग खुली तो आकर्षक सा मुखपन्ना था, नीले से पहाड़ पर सफेदी के…

2 weeks ago

खाम स्टेट और ब्रिटिश काल का कोटद्वार

गढ़वाल का प्रवेश द्वार और वर्तमान कोटद्वार-भाबर क्षेत्र 1900 के आसपास खाम स्टेट में आता…

2 weeks ago