देह तोड़ी है एक रिश्ते ने…
आख़िरी बूँद पानी का भी न दे पाया.
आख़िरी सांस की आवाज भी ना सुन पाया उसकी.
देह पड़ी है सीने मैं,
जो पूरा सीना खाली कर देगी.
चलो विसर्जन के लिए चलें.
कुछ चन्दन की लकड़ी का बोझ उठाओ,
और देह को ले चलो शमशान.
मेरी भावनाओं का घी लगाओ देह पर,
ताकि मेरी आत्मा शांत हो.
मन्त्र पढ़ो सौभाग्य और दीर्घायु के,
लेप लगाओ मेरे क़िस्सों के.
आराम से लकड़ी रखना देह पर मेरे दोस्त.
भार उसे कभी पसंद नहीं था.
मेरे अंदाजों को चरणामृत कर देना पंडित जी,
छिड़कने में आसानी होगी.
कपाल को धीरे धीरे से तोड़ना,
वो बड़ी नाजुक सी थी.
आत्मा उसके हिर्दय से निकलेगी ,
वहाँ थोड़ी जगह रखना.
मुझे यकीन है वो मेरे पास आएगी,
तो थोड़ा मुख मोड़ लेना.
उसे छोटी-छोटी खुशियाँ खरीदने की आदत थी,
तो विसर्जन के लिए कुछ पुड़िया बना लेना.
मलामी (शव के साथ आये लोग) आये हुए मेहमानों को ,
दो पूड़ियाँ और आलू खिला देना.
मैं चाहता हूँ कि…
विसर्जन चारों धामों मे किया जाये…
-रजनीश
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