नैनीताल में दुर्गालाल साह पुस्तकालय की अलग पहचान है. इस पुस्तकालय की स्थापना 1914 में अंग्रेजों ने की थी. उसी तरह हल्द्वानी में 15 अक्तूबर 1953 में एक पुस्तकालय की स्थापना की गयी. इस पुस्तकालय का शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविन्द बल्लभ पन्त ने किया. (Forgotten Pages from the History of Haldwani- 13)
नैनीताल के बाद यही एक ऐसा पुस्तकालय था जिसमें विभिन्न विषयों की हजारों पुस्तकें थीं और एक बहुत अच्छा पाठक वर्ग इस पुस्तकालय पर निर्भर था. इस पुस्तकालय में कई पत्र-पत्रिकाएँ भी नित्य वाचनालय में आया करती थीं और पत्र पढ़ने वालों की भीड़ जुट जाया करती थी. (Forgotten Pages from the History of Haldwani- 13)
इस पुस्तकालय की व्यवस्था का जिम्मा नगर पालिका संभाले हुई थी. किन्तु बाद में व्यवस्था शिथिल हो गयी, बहुमूल्य पुस्तकें गायब हो गयीं, जो शेष बचीं वे दीमक लग जाने व सेलन के कारण बेकाम हो गयीं. अब पुस्तकालय का जीर्णोद्धार तो हो चुका है किन्तु जिन बहुमूल्य व अप्राप्य पुस्तकों की धरोहर थी उसकी पूर्ति नहीं की जा सकती.
पुराने समय के पाठकों को नगर में एक अच्छा पुस्तकालय की कमी सालती रहेगी. इस पुस्तकालय के अलावा नगर पालिका द्वारा आजाद नगर एवं काठगोदाम में भी एक-एक पुस्तकालय संचालित किया जाता है.
बची गौड़ धर्मशाला परिसर में बने मंदिर से लगा मटर गली की ओर एक प्याऊ भी था. उस समय जनहित में प्याऊ और धर्मशाला बनाना परोपकार का काम माना जाता था. नगर पालिका भी गर्मियों में स्थान-स्थान अस्थाई फड़ लगाकर राहगीरों को पानी पिलाया करती थी.
(जारी है)
स्व. आनंद बल्लभ उप्रेती की पुस्तक हल्द्वानी- स्मृतियों के झरोखे से के आधार पर
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आपने पुराने दिन याद करवा दिए। सन १९९३-१९९५ में रोज़ शाम को पुस्तकालय जाना , अख़बारों को चाट डालना, द्विसाप्ताहिक रोज़गार समाचार, पुराने लेखकों के उपन्यास पढ़ना अब तो सब यादें भर हैं