हैडलाइन्स

क्या त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के कार्यों की जांच होनी चाहिये

एक महीने से उत्तराखंड में भर्ती घोटाले में एक के बाद एक नये खुलासे हो रहे हैं. पिछले एक दशक में पूरे भारत में इतना बड़ा भर्ती घोटाला दर्ज नहीं किया गया है. सरकारी नौकरियों की प्रवेश परीक्षा में सामने आई इन अनिमिताओं के बाद भी अब तक पूर्व की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार पर कोई प्रश्न नहीं उठाया जा रहा है. त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री रहते बार-बार भर्तियों में धांधली के आरोप लगते रहे लेकिन मुख्यमंत्री हमेशा इसे टालते रहे और सरकार को बदनाम करने की साजिश बताते रहे.
(Enquiry Against Trivendra Singh Rawat)

वर्तमान में स्थिति यह है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में हुई जिस भी भर्ती की जांच की जा रही है वहां धांधली सामने आ रही है. भाजपा नेतृत्व ने स्वयं उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा दिया लेकिन कभी जनता को कारण नहीं बताया. अब जब उनके कार्यकाल के दौरान इतनी धांधली सामने आ रही है तो क्या एक जांच पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के ऊपर नहीं बैठाई जानी चाहिये.

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के कई सारे फैसले राज्य विरोधी साबित हुये. भू-कानून पर हाल ही में प्रस्तुत की गयी रिपोर्ट में भी इस बात की ओर इशारा है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार द्वारा जमीनों की खरीद-फरोक्त की हटाई गयी सीलिंग राज्यहित विरोधी फैसला था. त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार द्वारा चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड पर लिये गये फैसले पर भी चारों ओर नाराजगी ही थी. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी सरकार के समय हज़ारों करोड़ का निवेश आने जैसी बातें कई बार दोहराई थी जिनका अब कोई न पता नहीं. त्रिवेंद्र सिंह रावत के अहंकारी होने जैसे व्यक्तिगत आरोप उनकी ही पार्टी के विधायकों ने लगाये.
(Enquiry Against Trivendra Singh Rawat)

इन सारी घटनाओं को नजरंदाज करते हुये भी उत्तराखंड की जनता ने भाजपा पर विश्वास कर दुबारा सत्ता पर काबिज कराया. क्या वर्तमान सरकार की यह नैतिक ज़िम्मेदारी नहीं है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में बनी पिछली सरकार के कार्यों की जांच हेतु एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी बैठाये जाये. क्या पिछली सरकार के सभी कैबिनेट मंत्रियों और उनके परिवार की संपत्ति की जांच की मांग करना गलत है?          
(Enquiry Against Trivendra Singh Rawat)

पिथौरागढ़ से महेंद्र

डिस्क्लेमर– यह लेखक के निजी विचार हैं.

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

स्वयं प्रकाश की कहानी: बलि

घनी हरियाली थी, जहां उसके बचपन का गाँव था. साल, शीशम, आम, कटहल और महुए…

6 hours ago

सुदर्शन शाह बाड़ाहाट यानि उतरकाशी को बनाना चाहते थे राजधानी

-रामचन्द्र नौटियाल अंग्रेजों के रंवाईं परगने को अपने अधीन रखने की साजिश के चलते राजा…

6 hours ago

उत्तराखण्ड : धधकते जंगल, सुलगते सवाल

-अशोक पाण्डे पहाड़ों में आग धधकी हुई है. अकेले कुमाऊँ में पांच सौ से अधिक…

1 day ago

अब्बू खाँ की बकरी : डॉ. जाकिर हुसैन

हिमालय पहाड़ पर अल्मोड़ा नाम की एक बस्ती है. उसमें एक बड़े मियाँ रहते थे.…

1 day ago

नीचे के कपड़े : अमृता प्रीतम

जिसके मन की पीड़ा को लेकर मैंने कहानी लिखी थी ‘नीचे के कपड़े’ उसका नाम…

1 day ago

रबिंद्रनाथ टैगोर की कहानी: तोता

एक था तोता. वह बड़ा मूर्ख था. गाता तो था, पर शास्त्र नहीं पढ़ता था.…

2 days ago