आज हम जिस टॉपिक पर बात करने वाले हैं वह दिलचस्प ही नहीं बल्कि हमारी पर्सनल और प्रफेशनल ग्रोथ के लिए भी बहुत ज्यादा जरूरी है. मैं बात कर रहा हूं EI यानी Emotional Intelligence की.
सबसे पहले समझते हैं कि इमोशनल इंटेलिजेंस है किस बला का नाम. इमोशनल इंटेलिजेंस जिसे EQ Emotional Quotient भी कहते हैं, आपकी वह सामर्थ्य है जिससे आप अपने इमोशंस को प्रभावी तरीके से पहचानते हैं, समझते हैं और उन्हें मैनेज करते हैं. आप दूसरों के आंसुओं के दर्द को समझते हैं. इसमें दूसरों के इमोशंस को समझना और उनके प्रति सहानुभूति यानी Empthy रखना भी शामिल है. अब सवाल उठता है कि यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है. दोस्तो दुनिया भर में ऐसी स्टडीज हुई हैं जो दिखाती हैं कि जिन व्यक्तियों में इमोशनल इंटेलिजेंस बेहतर होता है वे पर्सनल रिलेशनशिप से लेकर प्रफेशनल कामों तक जीवन के ज्यादातर पहलुओं में ज्यादा बेहतर काम करते हैं, ज्यादा बेहतर परफॉर्म करते हैं इसलिए दूसरों की तुलना में ज्यादा सफल रहते हैं.
अब जबकि हम इमोशनल इंटेलिजेंस के महत्व को जान गए हैं, तो चलिए उसे बढ़ाने के प्रैक्टिकल तरीकों पर बात की जाए. हम ऐसे 5 तरीकों पर बात करेंगे.
सेल्फ-अवेयरनेस को आप इमोशनल इंटेलिजेंस की बुनियाद भी मान सकते हैं. अपने इमोशंस के प्रति ध्यान देने का समय निकालें, चैक करें कि क्या बात, कौन-सी घटना उन्हें ट्रिगर करती है. अपनी स्ट्रेंथ व वीकनेस को लेकर ईमानदार रहें. इसके लिए आप रोज सोने से पहले दिन भर के व्यवहार, दिन भर की घटनाओं को फिर से जिएं. रोज ऐसा करेंगे तो आपको समझ आएगा कि कहां-कहां आपका बर्ताव अनुचित था, आपने क्या-क्या गलतियां कीं, किन बातों से आप परेशान हुए. आप अपने पर असर करने वाली बातों के प्रति जागरूक होने लगेंगे.
अपने आवेग में आकर किए गए रिएक्शंस को कंट्रोल करना सीखो. माइंडफुलनेस और मेडिटेशन का अभ्यास आपको यही सिखाता है. मैं पिछले दस सालों से रोज इसका अभ्यास कर रहा हूं. इससे आप चुनौतीपूर्ण स्थितियों में अपने इमोशंस को बेहतर कंट्रोल कर पाएंगे.
खुद को दूसरों की स्थिति में डालकर देखो. दूसरों को ध्यान से सुनो. उनकी फीलिंग्स की कद्र करो और उनके नजरिए को समझने की कोशिश करो. इससे न सिर्फ आप दूसरों से अपने रिलेशनशिप को सुधारेंगे, आपके आसपास का वातावरण भी अच्छा बनेगा. And you will grow faster in such an environment.
हमारे लिए effective communication बहुत जरूरी है. अपनी interpersonal skills पर काम करो. अलग-अलग तरह के लोगों से उनके मिजाज और उनकी जरूरत के मुताबिक कैसे मिलना है. उनके झगड़ों को अपने डिप्लोमेटिक तरीके से सॉल्व करना आना चाहिए. भगवान श्रीकृष्ण जैसी interpersonal skills चाहिए. वे सबको खुश रखते थे और सबसे अपने मुताबिक काम भी करवाते थे. एक बात याद रखें कि दूसरों को पूरा ध्यान देकर सुनना जरूरी है. यह कला सीखो. हमेशा अपनी ही बात कहने की जल्दबाजी में न रहो. कंट्रोल करो. दूसरों को सुनोगे तो ही उन्हें बेहतर जानोगे और तभी उनसे तुम्हारा रिश्ता भी मजबूत होगा. याद रखें कि मजबूत हेल्दी रिश्ते ग्रोथ के लिए बहुत जरूरी होते हैं.
जीवन को लक्ष्यहीन मत रखो. गोल्स सेट करो और उन्हें पाने के लिए अपना फोकस बनाकर रखो. हमेशा एक पॉजिटिव माइंडसेट बनाकर रखना बहुत जरूरी है. जो लोग emotionally intelligent होते हैं वे बाकी लोगों की तुलना में ज्यादा motivated और ऊर्जा से भरे रहते हैं. वे मुश्किलें आने पर घबराते नहीं बल्कि पूरी शक्ति से उनसे लड़ते हैं और उन्हें हराकर आगे बढ़ते हैं.
चलिए अब मालूम करते हैं कि इमोशनल इंटेलिजेंस हमारे लिए आखिर इतना जरूरी क्यों है. इससे हमें 4 फायदे होते हैं.
जो लोग इमोशनली इंटेलिजेंट होते हैं वे दूसरों से strong और meaningful connections बनाते हैं. इस बात को समझ लें कि वह पर्सनल settings में हो या professional settings में लोगों को बेहतर समझने और उनसे relate करने की क्षमता एक powerful skill है. Please work on this skill.
दोस्तो पहले इंडियन आर्मी में काम करने और फिर कॉर्पोरेट दुनिया में एक लीडर के तौर पर काम करने के अपने अनुभव के आधार पर मैं बता सकता हूं कि जिन लोगों में इमोशनल इंटेलिजेंस होती है वे अपनी टीम को ज्यादा inspire और motivate करते हैं. वे अपनी टीम के सदस्यों के इमोशंस को बेहतर समझते हैं जिससे वे उन्हें ज्यादा प्रभावी ढंग ज्यादा effectively से लीड कर पाते हैं.
दोस्तो, जिंदगी अनिश्चितताओं uncertainties से भरी हुई है. यहां बेहतर इमोशनल इंटेलिजेंस वाले लोग अपने आसपास रोज ही तेजी से हो रहे बदलावों के साथ adapt कर पाते हैं. वे नई स्थितियों के मुताबिक खुद को ढाल लेते हैं, अपने पुराने अनुभवों से सीख ले पाते हैं और बदलती परिस्थितियों में अपने लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए नए रास्ते बना पाते हैं.
क्या आपने गौर किया है कि जिन लोगों का इमोशनल इंटेलिजेंस अच्छा होता है वे बहुत सफलतापूर्वक झगड़ों और विवादों को सुलझा लेते हैं. आपने अपने आसपास ऐसे लोग जरूर देखे होंगे. उनमें और दूसरे लोगों में सिर्फ और सिर्फ इमोशनल इंटेलिजेंस का फर्क होता है. ये लोग झगड़ों और विवादों में शामिल सभी लोगों के इमोशंस को बेहतर समझते हैं और उन्हें शांत करने के लिए सही solutions देते हैं. Infact आप देखेंगे कि घर में या ऑफिस में झगड़ा होने पर लोग उन्हें सुलझाने ऐसे ही लोगों के पास जाते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वे उनके इमोशंस को बेहतर समझते हैं.
तो दोस्तो लब्बोलुबाब यह है कि इमोशनल इंटेलिजेंस को बढ़ाना सिर्फ आपके पर्सनल डेवलेपमेंट के लिए ही नहीं बल्कि आपको सफलता की राह पर ले जाने के लिए भी जरूरी है. अपने इमोशंस को समझने और कंट्रोल करने के तरीके सीखकर हम अपने लिए तो एक संतोष भरा जीवन जी ही सकते हैं पर दूसरे लोगों पर भी अच्छा प्रभाव छोड़ सकते हैं. तो चलिए संकल्प लीजिए कि आज से अपनी इमोशनल इंटेलिजेंस पर काम करना शुरू करेंगे. मैं तो इसके लिए रोजाना मेडिटेशन करता हूं, रोजाना योग और प्राणायाम करता हूं. आप भी करना शुरू करें और अपने लिए सफलता के दरवाजे खोलें.
सुन्दर चन्द ठाकुर
कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.
इसे भी पढ़ें:
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
मौत हमारे आस-पास मंडरा रही थी. वह किसी को भी दबोच सकती थी. यहां आज…
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…
उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…
पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…
आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…