सालों पहले मध्य हिमालय के जंगल में एक आदमी अपनी 15 बकरियों के साथ जा रहा था. जंगल में बकरियों के साथ जाता हुआ उसे एक भूतनी दे देख लिया. भूतनी ने गांव की एक बूढी औरत का रूप लिया और बकरी वाले के साथ हो ली. रात बहुत हो चुकी थी दोनों ने जंगल में साथ में ही आराम किया.
(demoness Folktale)
रात को मौका देख भूतनी दो बकरियां चट कर गयी. सुबह जब आदमी उठा तो उसने देखा की दो बकरियां गायब हैं. उसने बुढ़िया से पूछा तो उसने कहा- मैं तो रात को तुम्हारे साथ ही सो गयी थी न जाने बकरियां कौन उठा ले गया. आदमी बची हुई बकरियों के साथ जाने को हुआ तो बुढ़िया ने उसके साथ गांव तक जाने की बात कही. आदमी मान गया.
दूसरी रात बकरियां देख भूतनी से फिर न रहा गया. अबकी रात उसने चार बकरियां चटकर दी. आदमी ने सुबह देखा और बुढ़िया से सवाल किया तो उसने पिछली रात का ही जवाब दे दिया. बिना दांत की बुढ़िया के शरीर को देख आदमी को उस पर कभी संदेह ही न हुआ और बुढ़िया के भेष में आई भूतनी उसके गांव पहुंचने तक 15 की 15 बकरियां चट कर गयी.
गांव आकर उस आदमी का ठाटबाट देख बुढ़िया बड़ी खुश हो गयी. आदमी के घर में घोड़े थे, बकरियां थी और भी जानवर थे. उसकी चार पत्नियाँ थी जिसमें सबसे छोटी को एक बेटा था. भूतनी ने आदमी के घर में बसने के लिये एक योजना बना डाली.
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आदमी के घर लौटने के दो एक दिन बाद भूतनी 15 साल की सुंदर लड़की का रूप धारण कर उसके घर गयी. उसे देखते ही आदमी उस पर लट्टू हो गया. लड़की ने जब उसके सामने शादी का प्रस्ताव रखा तो वह मना न कर पाया और अपनी चार पत्नियों के विरोध के बावजूद उससे शादी कर ली.
शादी के कुछ दिन बाद पहले तो भूतनी ने घोड़ों ने काम चलाया और फिर एक एक कर आदमी की पत्नियों को खाने लगी. 3 पत्नियों के खाए जाने के बाद चौथी को पता चल गया की यह लड़की नहीं भूतनी है. जब उसने यह बात अपने पति को कही तो उसने उसे खूब मारा पीटा और कहा कि तू उसकी सुन्दरता से जलती है.
चौथी बीवी पेट से थी सो उसने अब रात में पड़ोसी के घर रहना शुरु कर दिया. घर में आदमी, उसका बेटा और भूतनी रहने लगे. पकड़े जाने के डर से भूतनी ने बच्चे को अब तक नहीं खाया था. अब वह गांव के लोगों को शिकार बनाने लगी.
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अपनी मां से बच्चे को भूतनी की जानकारी मिली तो वह बहुत डर गया. उसकी मां ने उसे गांव में ही रहने वाली एक तंत्र मंत्र वाली बुढ़िया के पास जाकर उपाय सुझाने को कहा. तंत्र मंत्र वाली बुढ़िया भूतनी की बहुत अच्छी दोस्त थी. भूतनी हर रोज उसके पास आती और रात के शिकार का खून उसे पीने को देती बदले में बुढ़िया उसके सिर के जुओं को मार देती.
लड़का बुढ़िया के पास गया और उससे कहा कि वह उसे एक सोने की मुहर देगा लेकिन बदले में उसे भूतनी से उसके घर का पता पूछना होगा. एक सोने की मुहर पर बुढ़िया राजी हो गयी. अगले दिन जब भूतनी उसके घर आई तो उसने उसे पूछा कि वह किस देश की रहने वाली है उसकी आत्मा कहाँ रहती है?
भूतनी ने जवाव दिया वह एक बहुत भयानक भूत की बेटी है. उसके पिता का साम्रज्य सात समुद्र पार है. वहां एक बड़ा सा पीपल का पेड़ है. उस बड़े से पेड़ के नीचे यात्री आराम करते हैं और उसकी टहनियों में बहुत सारे तोते रहते हैं. पेड़ में सबसे ऊपर एक बड़े से तोते का घोंसला हैं मेरी जान उसी तोते में बसती है.
अगले दिन जब लड़का बुढ़िया के पास आया तो बुढ़िया ने उससे कहा- अगर तुम मुझे दो सोने की मोहरें दोगे तो मैं तुम्हें यह भी बता दूंगी की भूतनी की जान किसमें बसती है. लड़के ने तुंरत दो सोने की मोहरें उसके हवाले की और उसने उसे सबकुछ बता दिया. लड़के ने कुछ देर सोचा और कहा मैं तुम्हें और दो मोहरें दूंगा अगर तुम उससे पूछो की वह सात समुद्र पार यहां कैसे आई? बुढ़िया राजी हो गयी.
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अगले दिन जब भूतनी बुढ़िया के घर आई तो बुढ़िया ने बड़ी चालाकी से भूतनी के सिर में जुएं मारते हुए कहा- तुम्हें बहुत सावधान रहना चाहिये. सात समुद्र पार से जिस चीज में तुम यहां आई हो उसे तुम्हें बहुत ही संभाल कर रखना चाहिये. भूतनी उसकी बातों में आ गयी और उसने बताया
मेरे पास एक जादुई चप्पल है जिसे पहनकर मैंने सात समुद्र पार किये. वह मैंने एक डिब्बे में अपने बिस्तर के नीचे रखा है. मैं तुम्हें अपना सच्चा दोस्त समझ कर सब कुछ बता रही हूँ तुम यह बात किसी को मत बताना क्योंकि जो शिकार मैं करती हूँ तुम भी उसमें हिस्सा लेती हो.
अगले दिन जब लड़का बुढ़िया के पास गया तो बुढ़िया ने उससे 2 के बजाय 4 मोहरें मांगी. लड़के को मज़बूरी में उसे 4 मोहरें देनी पड़ी. फिर बुढ़िया ने भूतनी के चप्पल का पूरा राज उसे बता दिया. लड़का सोचता हुआ घर लौटने लगा और अब उसने भूतनी को ठिकाने लगाने का पूरा इंतजाम कर लिया.
शाम के समय लड़के ने भेष बदला और एक साधु का रूप बनाकर अपने घर में भिक्षा मांगने लगा. भूतनी भीतर से आई और उसे चावल दान करने लगी. लड़के ने चावल लेने से मना कर दिया और घर के मालिक को जोर जोर से आवाज लगाने लगा. आदमी घर से बाहर निकला और लड़के को प्रणाम कर पूछा कि उसे क्या चाहिये. लड़के ने कहा कि उसे रात्रि में विश्राम के लिये उसके कमरे के बगल में स्थान चाहिये. आदमी ने उसे जगह दी.
रात के समय लड़के ने भूतनी के गांव जाकर शिकार करने तक का इंतजार किया और जब वह लौटकर सो गयी तो कमरे की दीवार का एक पत्थर निकालकर अपने पिता के कमरे में घुसा. वहां उसने बिस्तर के नीचे से बक्से को निकाला और चप्पल लेकर सुबह होने से पहले पहुंच गया सात समुद्र पार.
वहां उसे बड़ा सा पीपल का पेड़ दिखा और उसके सबसे ऊपर एक बड़े से तोते का घोंसला. उसने चप्पल डाली और उड़ता हुआ पेड़ के सबसे ऊपर गया. वहां सोते तोते को उसने पंखों से पकड़ा. तोता फड़फड़ाने लगा इधर भूतनी अचानक से घबराने लगी. उसने तोते की गर्दन पकड़ी और उसका एक पंख काट कर उड़ चला अपने गांव की ओर.
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तोते को चोट लगने से भूतनी गांव में कहराने लगी. सूरज की पहली किरण के साथ लड़का भी गांव में अपने घर पहुंच गया. वहां उसने अपने पिता को सारी बात बता डाली. भूतनी अपने असल रूप में आ गयी. पहले तो खूब चिल्लाई फिर लड़के के हाथ में तोता देख मांफी मांगने लगी. पूरा गांव आदमी के घर पर इकट्ठा हो गया.
भूतनी ने लड़के से कहा वह अपने पिता के खजाने से उसे लाख सोने की मोहरें उसे देगी वह तोते को उसे दे दे. पर लड़का न माना उसने तोते की जान ले की. आदमी और गांव वाले लड़के की बहादुरी से बहुत खुश हुये.
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यह कथा ई. शर्मन ओकले और तारादत्त गैरोला की 1935 में छपी किताब ‘हिमालयन फोकलोर’ से ली गयी है. इस पुस्तक में इन लोक कथाओं को अलग अलग खण्डों में बांटा गया है. प्रारम्भिक खंड में ऐतिहासिक नायकों की कथाएँ हैं जबकि दूसरा खंड उपदेश-कथाओं का है. तीसरे और चौथे खण्डों में क्रमशः पशुओं व पक्षियों की कहानियां हैं जबकि अंतिम खण्डों में भूत-प्रेत कथाएँ हैं. A Girl and her Snake Husband]
‘हिमालयन फोकलोर’ से अन्य कहानियां पढ़ें – बहादुर पहाड़ी बेटा और दुष्ट राक्षसी की कथा एक तीतर को लेकर हुए घमासान में एक परिवार के उजड़ने की लोककथा चूहे की बेटी के विवाह और चन्द्रमा, सूरज, पेड़, धरती की लोककथा
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