गंगा रक्षा के लिए बीते 82 दिन से अनशनरत स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद को मनाने पहुंचे नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा परियोजना के डायरेक्टर जनरल राजीव रंजन और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की निजी सचिव सरिता का आग्रह भी स्वामी सानंद ने ठुकरा दिया.
केंद्रीय टीम मंगलवार शाम जगजीतपुर स्थित मातृसदन पहुंची. टीम ने करीब डेढ़ घंटे स्वामी सानंद से उनकी मांगों पर चर्चा की और सरकार की गंभीरता से भी उन्हें अवगत कराया.आमरण अनशन कर रहे स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद उर्फ प्रोफेसर जीडी अग्रवाल ने मांगे पूरी होने तक उन्होंने आमरण अनशन जारी रखने की चेतावनी दी है.
गौरतलब है कि स्वामी सानंद ने 13 जून को प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था, लेकिन पत्र का कोई जवाब न आने पर वह 22 जून को अनशन पर बैठ गए थे. कुछ दिनों बाद प्रशासन ने उन्हें जबरन उठाकर एम्स में भर्ती कराया. केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने अनशन समाप्त करने की अपील की लेकिन उन्होंने अपना अनशन नहीं तोड़ा.
ज्ञानस्वरूप सानंद पहले ही साफ़ कर चुके है कि सरकार ने नौ अक्तूबर तक मांग नहीं मानती है तो दस अक्तूबर से वे जल भी त्याग देंगे. एवं विष्णुगढ़ पिपलकोटी, सिंगोली भवरी और फाटा बयोंग हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजन बंद करना ही होगा. सेवानिवृत जस्टिस गिरधर मालवीय के नेतृत्ववाली समिति की ओर से तैयार गंगा संरक्षण अधिनियम को संसद से पारित किया जाए. गंगा के बारे में किसी भी निर्णय से पहले अनुमति के लिए राष्ट्रीय गंगा अनुयायी समिति का गठन हो.
टीम ने उन्हें द नेशनल रिवर गंगा रिजुवेनेशन प्रोटेक्शन एंड मैनेजमेंट बिल-2018 की प्रति सौंपकर उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही. साथ ही स्वामी सानंद के गिरते स्वास्थ्य को देखते हुए उनसे अनशन खत्म करने का अनुरोध भी किया. हालांकि, स्वामी सानंद मांगें पूरी होने तक अनशन जारी रखने की बात पर अड़े रहे.
अधिकारियों के बार बार आग्रह करने पर उन्होंने कहा कि वे अध्ययन करने के बाद ही प्रस्तावित बिल के मसौदे पर अपनी कोई प्रतिक्रिया देंगे। बुधवार को भी दोनों अधिकारी दोबारा उनसे मिल सकते हैं.
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