कला साहित्य

शायद वहाँ एक आंसू था : मंगलेश डबराल की कविता

जीवन के लिए -मंगलेश डबराल शायद वहाँ थोड़ी सी नमी थी या हल्का सा कोई रंग शायद सिरहन या उम्मीद…

6 years ago

चूहे को साहित्य से क्या करना

अथ श्री गणेशाय नम: -शरद जोशी अथ श्री गणेशाय नम:, बात गणेश जी से शुरू की जाए, वह धीरे-धीरे चूहे…

6 years ago

एक युवा कवि को पत्र – 3 – रेनर मारिया रिल्के

"एक युवा कवि को पत्र" महान जर्मन कवि रेनर मारिया रिल्के के लिखे दस ख़तों का संग्रह है. ये ख़त…

6 years ago

मेरे घर का भी सवाल है : लीलाधर जगूड़ी की कविता

ईश्वर और आदमी की बातचीत -लीलाधर जगूड़ी जानते हो यह मूर्ति मेरी है और कुछ लोग इसे पूजने आ रहे…

6 years ago

सुना आपका ‘ता’ गायब हो गया था पिछले दिनों

नेतृत्व की ताकत -शरद जोशी नेता शब्द दो अक्षरों से बना है- 'ने' और 'ता'. इनमें एक भी अक्षर कम…

6 years ago

आपकी आँखों का अब कोई इलाज नहीं है : मंगलेश डबराल की कविता

पिता का चश्मा -मंगलेश डबराल बुढ़ापे के समय पिता के चश्मे एक-एक कर बेकार होते गए आँख के कई डॉक्टरों…

6 years ago

श्रीमान ‘अ’ की विदा

श्रीमान 'अ' इन दिनों काफी मुश्किल में रहते हैं. उनकी कोई सुनता ही नहीं. सब उन्हें डांट देते हैं. श्रीमान…

6 years ago

जब तक ऐक्‍सीडेण्‍ट न हो, हमें जागते रहना है

रेल यात्रा -शरद जोशी रेल विभाग के मंत्री कहते हैं कि भारतीय रेलें तेजी से प्रगति कर रही हैं. ठीक…

6 years ago

एक युवा कवि को पत्र – 2 – रेनर मारिया रिल्के

"एक युवा कवि को पत्र" महान जर्मन कवि रेनर मारिया रिल्के के लिखे दस ख़तों का संग्रह है. ये ख़त…

6 years ago

कलियों और फूलों की ख़ुशबुएँ : लीलाधर जगूड़ी की कविता

प्राचीन संस्कृति को अंतिम बुके पारंपरिक भारतीय कलियों और फूलों की ख़ुशबुएँ पांडवों की तरह स्वर्गारोहण की सदिच्छा से हिमालय…

6 years ago