समाज

कुमाऊँ में अंग्रेज – 1815 से 1857 तक

ईस्ट इंडिया कंपनी का 1815 में उत्तराखण्ड आगमन उत्तराखण्ड में गोरखों के 25 साला सामन्ती सैनिक शाही के अन्त से…

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रं सभ्यता के गाँव – रवि पतियाल के फोटो

  फिलहाल भीमताल में रह रहे रवि पतियाल डायरेक्टरेट ऑफ़ कोल्ड वाटर फिशरीज़ में वैज्ञानिक हैं. धारचूला की चौंदास घाटी…

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रानीखेत के करगेत से कानपुर तक खिंची एक पुरानी डोर

तीस के दशक में कभी रानीखेत तहसील के एक छोटे से गाँव करगेत से निकले पाँच भाइयों ने जब जीवन…

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हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 39

बरेली के मिशनरी प्रचारक विलियम बटलर ने पहाड़ में मिशनरी का खूब प्रचार किया था. फतेहपुर के पास ईसाई नगर…

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बदलते परिवेश का पहाड़ – पहली क़िस्त

मुझे और मेरे सहपाठी रतन सिंह को जिस दिन चकराता से त्यूनी जाना था उसके एक रात पहले चकराता और…

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फ़लक ज़मा को मिला दूसरा प्रोफ़ेसर आई. डी. सक्सेना मेमोरियल अवार्ड

विज्ञान, मेडिकल अध्ययन और फिजियोलॉजी के क्षेत्र में दिया जाने वाला प्रोफ़ेसर आई. डी. सक्सेना मेमोरियल अवार्ड इस वर्ष राजकीय…

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हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 38

यहां भाबर के लिए एक शब्द अक्सर प्रयोग में लाया जाता है ‘भबरी जाना,’ यानि खो जाना. यह बात पहले…

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नीम करोली बाबा की दुर्लभ तस्वीरें – 2

नैनीताल और गरमपानी के बीच स्थित नीम करोली ( नीब करौरी ) आश्रम, कैंची धाम लम्बे समय से श्रध्दालुओं की…

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पहाड़ों मे कोई न तो पलायन के गीत हैं न हीं आह्वान के गीत

पहाड़ों में अब मौसमी गीत ही गीत हैं. बसंत बरसात और प्यारा जाड़ा तो है. जाड़ा अब उतना गुलाबी नहीं…

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पिछौड़ा उत्तराखण्ड का एक पारम्परिक परिधान

पिछौड़ा उत्तराखण्ड में सभी मांगलिक कार्यक्रमों में विवाहित महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला एक पारंपरिक परिधान है. पुराने समय में…

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