कॉलम

बदलते परिवेश का पहाड़ – दूसरी क़िस्त

कथियान कुछ एक दुकानों, ढाबों, चाय के खोमचों और कुछ एक बेमकसद टहलते युवाओं का ठौर है. इन सबों के…

6 years ago

कहो देबी, कथा कहो – 14

डांस ब्वाइज डांस  छुट्टी के दिन कई बार मैं अपने साथी बिष्ट के कमरे में भी मिलने चला जाता था.…

6 years ago

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 33

  पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम…

6 years ago

इस ख़राबे में कोई मर्द कहां – फ़हमीदा रियाज़ को श्रद्धांजलि

कब तक मुझ से प्यार करोगे? कब तक? जब तक मेरे रहम से बच्चे की तख़्लीक़ का ख़ून बहेगा जब…

6 years ago

मेंढक कहानी के लेखक गम्भीर सिंह पालनी के साथ मुलाकात

वरिष्ठ कथाकार व कवि गम्भीर सिंह पालनी पिछले 12 नवम्बर 2018 को हल्द्वानी में डॉ. प्रशान्त निगम के पास अपने…

6 years ago

बदलते परिवेश का पहाड़ – पहली क़िस्त

मुझे और मेरे सहपाठी रतन सिंह को जिस दिन चकराता से त्यूनी जाना था उसके एक रात पहले चकराता और…

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कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 32

  पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम…

6 years ago

हल्द्वानी के पिक्चर हॉल में लगी विनोद कापड़ी की पीहू

मूलतः कुमाऊँ के बेरीनाग इलाके के निवासी और हमारे साथी फिल्मकार-पत्रकार विनोद कापड़ी लगातार काफल ट्री पर अपनी उपस्थिति दर्ज…

6 years ago

कैसे बनता है बरेली का मांझा : एक फोटो निबंध

‘कनकौए और पतंग’ शीर्षक अपनी एक रचना में नज़ीर अक़बराबादी साहेब ने पतंगबाज़ी को लेकर लिखा था: गर पेच पड़…

6 years ago

छानी ल्वेशाल के अनिल सिंह दोसाद और उनका वैली व्यू रेस्तरां

कुमाऊं के सुन्दर कौसानी-सोमेश्वर मार्ग पर कौसानी से 3 और सोमेश्वर से 9 किलोमीटर दूर एक छोटी सी जगह पड़ती…

6 years ago