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बाक्सिंग में पहला गोल्ड मेडल लाने वाले पदम बहादुर मल्ल

1962 में एशियन गेम्स जकार्ता में हुए. भारत के मुक्केबाजों से किसी को कोई ख़ास उम्मीद थी नहीं. जब जकार्ता में एशियन गेम्स खत्म हुए तो बेस्ट बाक्सिंग प्लेयर का खिताब एक भारतीय को मिला. 60 किग्रा भार वर्ग से खेले पदम बहादुर मल्ल. भारत के लिये बाक्सिंग में पहला गोल्ड मेडल जितने वाले पदम बहादुर मल्ल.

Boxer Padam Bahadur Mall Boxer Padam Bahadur Mall

1962 के इस एशियन गेम्स में पदम बहादुर मल्ल ने गोल्ड मेडल जीता था वह दरसल उत्तराखंड के रहने वाले हैं. एशियन गेम्स में बेस्ट बाक्सर का खिताब जीतने वाले आज तक वह एकमात्र भारतीय हैं. वर्तमान में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में रह रहे पदम बहादुर मल्ल 1953 में 1/8 गोरखा रायफल में भर्ती हो गये थे.

पदम बहादुर मल्ल सन 1959 से 1963 तक लगातार चार साल राष्ट्रीय चैम्पियन रहे. पदम बहादुर मल्ल को साइंटिफिक बाक्सिंग का जनक माना जाता है. साइंटिफिक बाक्सिंग का अर्थ अपना बचाव करते हुए प्रतिद्वंद्वी पर सही लक्ष्य पर प्रहार करना कहलाता है.

1964 के टोकियो ओलम्पिक से पहले प्री ओलम्पिक में सिल्वर मेडल जीतने वाले पदम बहादुर मल्ल को ओलम्पिक मेडल का प्रबल दावेदार माना जा रहा था लेकिन वह इस ओलम्पिक में भाग न ले सके.

अनुशासन प्रिय पदम बहादुर मल्ल की उम्र आज 80 बरस हो गयी है. इसके बावजूद वे आज भी राज्य में बाक्सिंग की संभावनाएं तलाशते नज़र आ जायेंगे. पदम बहादुर मल्ल शुरुआत में फुटबाल भी खेलते थे लेकिन बाक्सिंग के प्रति उनकी लगन ने उन्हें आज उस मुकाम पर पहुंचा दिया है जिसे अन्य कोई नहीं छू सका है.

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जकार्ता एशियन गेम्स. फोटो : द हिन्दू से साभार

पदम बहादुर मल्ल सन 1984 में आर्मी से बतौर ऑनरी कैप्टन रिटायर हुए थे उसके बाद वह कई वर्षों तक बाक्सिंग के प्रशिक्षक भी रहे. 74 वर्ष की उम्र तक पदम बहादुर मल्ल बाक्सिंग की राष्ट्रीय चयन समिति के सदस्य भी रहे.

पदम बहादुर मल्ल को अर्जुन अवार्ड भी मिला है. साल 2013 में उत्तराखंड सरकार ने पदम बहादुर मल्ल को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड के लिये चुना.

फोटो : http://theveergorkha.blogspot.com से साभार.

– काफल ट्री डेस्क

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Girish Lohani

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