अगर आप उत्तराखण्ड के पक्षियों के बारे में व्यापक जानकारी देने वाली किताब कि तलाश में हैं तो हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रकाशित यह किताब आपकी मंजिल हो सकती है. लीफ़बर्ड फ़ाउंडेशन द्वारा प्रकाशित यह बेहतरीन किताबें उत्तराखण्ड में पाए जाने वाले साढ़े चार सौ से अधिक पक्षियों का शानदार विवरण प्रस्तुत करती है. पुस्तक में इन पक्षियों के जीवंत रंगीन चित्रों के साथ जरूरी विशेषताओं का विवरण दिया गया है. चित्र और विवरण पक्षी प्रेमियों को इन पक्षियों को पहचानने में मददगार हैं. यह पुस्तकें पक्षियों की दुनिया को उत्सुकता से देखने वालों की जिज्ञासा शांत करती है और उनके भीतर इस बारे में और ज्यादा जानने की ललक भी पैदा करती है. (Birds of Uttarakhand Book by Leafbird Foundation)
पुस्तकों के बारे में दो महत्वपूर्ण टिप्पणियां है :
पक्षी कायनात के सबसे ख़ूबसूरत हिस्से हैं — तरह-तरह के उड़ते हुए फूलों के मानिन्द. उन्हें जाने बिना हिमालय को जानना मुश्किल है. यह खोजपूर्ण और सचित्र किताब आपको पक्षियों का दोस्त बनायेगी और हिमालय का भी.
-डॉ. शेखर पाठक, विद्वान, इतिहासकार, लेखक और शिक्षाविद, ‘चिपको मूवमेंट : ए पीपल्स हिस्ट्री’ और ‘दास्तान-ए-हिमालय’ जैसी कई चर्चित पुस्तकों के लेखक. पद्मश्री से सम्मानित.
हिमालयी भूभाग के पक्षियों पर सटीक विवरण और जीवंत चित्रों से सुसज्जित किताब देखकर मुझे खुशी हो रही है. हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में होना इसे विशेष बनाता है. किताब एक आम आदमी के लिए भी पक्षियों की अद्भुत विविधताओं के अध्ययन के द्वार खोलती है. मैं ‘द लीफ़बर्ड फ़ाउंडेशन’ और इस पुस्तक को संभव बनाने में योगदान देने वाले प्रत्येक व्यक्ति को बधाई देता हूं.
-अनूप साह, जाने-माने फोटोग्राफर, पर्यावरणविद, प्रकृति विज्ञानी, वन्य जीव विशेषज्ञ. पद्मश्री से सम्मानित.
हिंदी में ‘उत्तराखण्ड के पक्षी’ तथा अंग्रेजी में ‘बर्ड्स ऑफ उत्तराखण्ड’ नामों से प्रकाशित इन पुस्तकों को अनील बिष्ट और बेला नेगी द्वारा लिखा गया है. सहज और सरल भाषा में लिखी गयी ये किताबें अनूठी हैं और हिंदी में इस तरह की पहली किताब भी.
पुस्तक को अमेज़न से खरीदने के लिंक – उत्तराखण्ड के पक्षी के लिए : https://www.amazon.in/dp/8195630715/ref=sr_1_1…
बर्ड्स ऑफ उत्तराखण्ड के लिए :
https://www.amazon.in/Birds…/dp/8195630707/ref=sr_1_1…
इसे भी पढ़ें : घर-वापसी : बेला नेगी की कहानी
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…
इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …
तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…