यह भी सुनने में अजीब है कि आज से शाम से कुमाऊं में बैठकी होली शुरु हो जायेगी. अभी जब होली को करीब करीब तीन महीने बाक़ी हैं हमारे कुमाऊं में पूस के पहले रविवार से ही बैठकी होली शुरु हो जानी है. आज पूस के पहले रविवार से यह होली की सायंकालीन संध्या छलड़ी तक चलेगी.
(Baithaki Holi in Kumaon)
आज से हर शाम गुड़ की भेली तोड़ी जायेगी और बैठकी में शामिल कलाकारों और श्रोताओं के बीच बटेगी. आज से बसंत तक निर्वाण और भक्ति प्रधान होली गायी जायेंगी. बसंत पंचमी से शिवरात्रि तक रंगभरी होलियों का गायन होगा. फिर आयेगी बारी श्रृंगार रस भरी होली के गायन की और फिर विदाई गीतों के साथ होली की भी विदाई होगी.
आज से अल्मोड़ा, चंपावत, पिथौरागढ़, बागेश्वर, हल्द्वानी समेत पूरे कुमाऊं में बैठकी होली की शुरुआत होगी. सामाजिक उत्सव की यह परम्परा आज कुछ संस्थानों, विशिष्ट व्यक्तियों और विशेष गावों तक सीमित रह चुकी है. आमजन तो इस तरह की बैठकी होलियों से गायब ही हो गया है.
कुमाऊं में बैठकी होली के इतिहास के संबंध में कहा जाता है कि उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में बैठकी होली गायन की शुरुआत अल्मोड़ा में मल्ली बाजार स्थित भगवान हनुमान के मंदिर से हुई.
(Baithaki Holi in Kumaon)
भागदौड़ से भरे इस जीवन में अब समय ही किसके पास है जो महीना दो महीना एक ही होली के पीछे लगाये. टी-20 के इस युग में तो सभी जल्दी-जल्दी का हुडदंग पसंद है. ऐसे में आमजन से तीन महीने होली के उत्सव मनाने की उम्मीद करना ही बेमानी है.
आज भी जिन संस्थाओं और लोगों ने इस बैठकी होली की परम्परा को जिन्दा रखने का ज़िम्मा उठाया है वह काबिले तारीफ़ है. आज इनकी ही बदौलत हम तीन महीने पहले से ही कुमाऊं की संगीतमय होली सुन सकते हैं. अपनी विरासत को संजोकर रखने के लिए इन संस्थाओं का शुक्रगुजार होना चाहिये.
(Baithaki Holi in Kumaon)
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online
Support Kafal Tree
.
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…
शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को…
तकलीफ़ तो बहुत हुए थी... तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। तकलीफ़ तो बहुत हुए थी,…
चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार…