सरकार के हज़ार दावों के बाद भी सरकारी शिक्षा व्यवस्था पटरी पर वापस नहीं आ सकी है. एक तरफ शिक्षकों की कमी लगातार बनी हुई हैं वहीं सरकार प्रदेश भर में मानकों के अनुरूप शिक्षकों की नियुक्ति करने में नाकाम साबित हो रही है. प्रदेश में आज भी शिक्षकों के हजारों पद खाली हैं, लेकिन सरकार स्थायी रूप से कोई हल नहीं निकाल सकी है.
राजकीय इंटर कालेज काफलीगैर (बागेश्वर) के छात्र-छात्राओं के अभिभावकों में विद्यालय में लम्बे समय से रिक्त पदों में शिक्षकों की नियुक्ति न होने से रोष है. हाईस्कूल में गणित,विज्ञान,अंग्रेजी जैसें विषयों के शिक्षकों की कमी लम्बे समय से बनी हुई है, लेकिन सुध लेने वाला कोई नहीं है. विद्यालय की छात्र संख्या 450 है. एक तरफ सरकार कम छात्र संख्या वालें स्कूलों के विलीनीकरण पर जोर दे रहीं है, वहीं अच्छी-खासी छात्र संख्या वाले विद्यालयों में शिक्षकों को नियुक्त करने में असफल साबित हो रही है. इंटर में पढ़ाने के लिए जीव और भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता नहीं हैं. वही कला विषय के राजनीति विज्ञान और अर्थशात्र, इतिहास का प्रवक्ता की भी कमी बनी हुई हैं. शिक्षकों की कमी से पढ़ाई पर गहरा प्रभाव पढ़ रहा है. ग्रामीण परिवेश के कारण अन्य शिक्षण संस्थानों के न होने की वजह से छात्रों के सुनहरें भविष्य पर ही सवाल खड़े हो गए हैं. इस विद्यालय में शिक्षकों के 21 पद सृजित है, लेकिन मात्र दस पदों पर शिक्षक नियुक्त हो पाए हैं.
गौरतलब है कि बागेश्वर जनपद में एक भी माध्यमिक स्तर का स्कूल नहीं है जहां सभी सृजित पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति की गई हो. पूरे जनपद में शिक्षकों की भारी कमी है. राजकीय इंटर कालेज से दस किलोमीटर की दूरी पर राजकीय इंटर कालेज भटखोला में भी हाल यही है. यहां भी शिक्षकों की नियुक्ति कुल सृजित पदों से काफी कम है. हाल ही में राजकीय इंटर कालेज बघर में अभिभावकों ने विद्यालय में तालाबंदी कर मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी से सभी सृजित पदों पर शिक्षकों की मांग की थी. अधिकारी भी अभिभावकों के दबाव में आस पास के विद्यालय से शिक्षकों को समायोजित कर कामचलाऊ व्यवस्था करने तक ही सीमित हैं. कोई भी स्थायी समाधान सरकार निकाल सकने में असमर्थ नजर आ रही है. सरकार के पास रिक्त पदों पर नियुक्ति करने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है.
राजकीय इंटर कालेज काफलीगैर, भटखोला,देवलधार,बोहाला में विज्ञान विषयों के साथ ही कला विषय के शिक्षकों की कमी लगातार बनी हुई है लेकिन सुध लेने वाला कोई नहीं है. खरही मंडल के स्कूलों के बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए खरही मंडल में महाविद्यालय खोलनें की मांग भी तेज हो गई है, लेकिन सवाल यही है कि जब इंटर कालेजों में सहायक अध्यापकों, प्रवक्ता की तैनाती ही नहीं हो पा रही है, तो महाविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति की क्या शर्त है? बगैर शिक्षकों के महाविद्यालय निर्माण से क्या लाभ होगा? गौरतलब है कि ठेकेदारों व नेताओं की मिलीभगत से भवन निर्माण,या अन्य संबधित कार्य हो रहे है लेकिन जैसे ही मूल सवाल शिक्षण कार्यों को लेकर आता है तो नेता, ठेकेदार सब कन्नी काट जाते हैं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि सर्वप्रथम इंटर कालेजों में सृजित पदों के अनुरूप शिक्षकों की नियुक्ति हो ताकि छात्रों को बेसिक स्तर का न्यूनतम ज्ञान तो हो ही. उसके उपरान्त महाविद्यालय का निर्माण शीघ्र हो. साथ ही मानकों के अनुरूप सभी पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति भी हो.
कुछ अभिभावकों का तर्क है कि जब इंटर कालेजों में रसायन, भौतिक,जीव विज्ञान के प्रवक्ताओं की कमी रहेगी तो छात्र कैसे बीएससी, बीए की पढाई में अव्वल हो सकेगा? कला विषय के प्रवक्ता तक की कमी होना पूरी शिक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान है. बागेश्वर जनपद की शिक्षा व्यवस्था की यह तस्वीर छात्रों के सुनहरे भविष्य पर नीति नियंताओं की असंवेदनशीलता का साक्ष्य है. जिले के गठन के दो दशकों बाद भी एक इंटर कालेज पूरेमानकों के अनुरूप शिक्षकों की नियुक्तियों के लिए तरस गया है. विज्ञान की लैब एवं बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर तो दूर की कौड़ी ही है.
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