उत्तराखण्ड के गढ़वाल व कुमाऊँ दोनों ही मंडलों में कई जगहों के नाम में बगड़ शब्द का इस्तेमाल हुआ करता है. बगड़ का मतलब हिमालय से प्रवाहित होने वाली नदियों-नालों के करीब की तटीय, समतल भूमि से है. नदी-नालों के किनारे की इस तटीय, समतल, पथरीली व रेतीली जमीन को बगड़ कहा जाता है. (Bagad Towns on Coastal Land).
इस जमीन को प्रायः यहाँ के किसान खेती और आवास के लिए इस्तेमाल में लाया करते हैं. बगड़ में बसे गाँवों-कस्बों के नामों के अंत में बगड़ विशेषण जोड़ दिया जाता है.
बगड़ शब्द का इस्तेमाल उत्तराखण्ड के अलावा राजस्थान में भी किया जाता है. राजस्थान में भी यह इसी तरह की भूमि के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है लेकिन यहाँ यह एक उजाड़ मरुस्थलीय भूमि है. इसके विपरीत उत्तराखण्ड में यह एक ऐसी तटीय भूमि है जहाँ मानवीय बसावट है. बगड़ में खेती होती है और लोगों की बसासत भी पायी जाती है.
उत्तराखण्ड के गाँव-कस्बे जिनमें बगड़ (Bagad Towns on Coastal Land) शब्द का प्रयोग हुआ है—
बगड़ (नैनीताल), चीराबगड़, घटबगड़, कालियाबगड़ (बागेश्वर), दानीबगड़, छोरीबगड़, कुचियाबगड़, बांसबगड़, बोरीबगड़ (पिथौरागढ़), बांसबगड़ (चम्पावत), पातलीबगड़ (अल्मोड़ा), नारायणबगड़, लामबगड़, रानीबगड़ (चमोली), तिराहेबगड़, सिरोबगड़ (रुद्रप्रयाग).
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