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चंदवंशीय राजा बाज बहादुर चंद

राजा बाज बहादुर चंद कुमाऊं के चंदवंशीय शासकों में सबसे अधिक शक्तिशाली शासक रहे हैं. उनका बचपन बड़ा त्रासदीय रहा है. ये चन्दवंशीय राजा नीलू गुसाईं के पुत्र थे. उस समय राजा विजय चंद थे किन्तु वे बड़े विलासी प्रवृत्ति के व्यक्ति थे. राज-काज में कोई रुचि न होने से शासन का कामकाज उनके सलाहकार सुखराम कार्की, पीरु गुसाईं तथा तथा विनायक भट्ट के हाथों में था. सत्ता के लोलुप इन तीनों ने मिलकर राजा की हत्या करके सारी राजसत्ता को अपने अधिकार में ले लेने की इच्छा से विजयचंद की हत्या कर दी और इनके चाचा नीलू गुसाईं की आंखें निकाल दी और चंदवंशीय राजकुमारों की हत्या करवा दी थी. उस समय राज्य का उत्तराधिकारी विजयचंद के चाचा का पुत्र हो सकता था. उसकी हत्या करने की नीयत से जब वे उसके निवास में गए. उसकी धाय ने उसे एक वस्त्र में लपेटकर घर से बाहर रख दिया और वह बाख गया.

धाय बाद में उसे वहां से उठाकर एक ब्राह्मण धर्माधर त्रिपाठी के घर के बाहर रख आयी. जिसे धर्माधर त्रिपाठी ने पाला. विजयचंद की हत्या के बाद राजा त्रिमलचंद गद्दी पर बैठे. उन्होंने विजयचंद के तीनों हत्यारों में से सुखराम कार्की को मृत्युदंड दे दिया, विनयाकचंद की आंखें निकाल दीं और वीरू गुसाईं को प्रयाग के आसपास आत्महत्या करने को भेज दिया. 1625 से 1638 तक राज्य के किसी उत्तराधिकारी के लिए किसी चंदवंशीय रौतेले की खोज करवाई. खोज करने पर त्रिपाठी के घर में पलने वाले बालक बाजा का पता चला. निसंतान त्रिमलचंद ने बाजा को बाज बहादुर चंद के नाम से कुंवर घोषित कर दिया.

राजा त्रिमलचंद कि कृपा से बाजा को बाज बहादुर चंद बनाकर राजगद्दी पर तो बैठा दिया गया. एक गरीब ब्राह्मण के घर में पला, राजपरम्पराओं से अनभिज्ञ यह बालक सत्ता सँभालने में सक्षम नहीं हुआ. तराई में कठेड़ीयों का कब्जा चल रहा था, उनके भय से पर्वतीय कृषक पलायन कर रहे थे. भूमि उजाड़ हो रही थी. ऐसी स्थिति में बाज बहादुर चंद ने दिल्ली की ओर रुख करके मुग़ल शासकों से सहायता लेनी चाही. वहां शाहजहाँ की सेना में भर्ती हो गया. उसने काबुल और कंधार के युद्धों में बड़ी भूमिका निभाई. कंधार युद्ध में उसकी वीरता से शाहजहाँ बहुत प्रसन्न हुआ. अवसर पाकर उसने उसे तराई की विषम परिस्थितियों से अवगत कराया और मुग़ल सेना की सहायता से कठेडियों से तराई को मुक्त कराकर इस क्षेत्र के विकास की ओर ध्यान दिया. यहाँ पर बाजपुर नगर की नीँव डाली. काशीपुर और रुद्रपुर के किलों को और मजबूत किया. जंगल कटवाकर गाँव बसाये, सड़कें बनवाईं तथा लोगों की सुरक्षा के लिए घुड़सवार सैनिक रखे.

उत्तराखण्ड ज्ञान कोष (प्रो. डी. डी. शर्मा) के आधार पर

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Sudhir Kumar

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