खेल

आईपीएल-2020 में उत्तराखंड की तान्या करेंगी एंकरिंग

आईपीएल 2020 शुरू होने से पहले ही जीत लिया गया है. कम से कम उत्तराखंड में तो यही माना जा रहा है. और मानें भी क्यों नहीं. आखिर उसकी एक बेटी जो चुनी गयी है प्रमुख उद्घोषक. ये बेटी है, तान्या पुरोहित. पत्रकारिता और रंगमंच में दीक्षित. पूरी दुनिया की नज़र जिस आयोजन पर रहेगी उसकी उद्घोषक तान्या ने किसी महानगर से नहीं, एक पहाड़ी नगर श्रीनगर से निकल कर ये उपलब्धि हासिल की है.
(Tanya Purohit)

तान्या के पिता, डी.आर.पुरोहित, हे.नं.ब.गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल में अंग्रेजी साहित्य के प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष से सेवानिवृत्त होकर उच्च अध्ययन संस्थान शिमला में फेलोशिप में संलग्न हैं. प्रो. पुरोहित उत्तराखंड के सांस्कृतिक अध्ययन के क्षेत्र में एक लब्ध-प्रतिष्ठित नाम हैं. गढ़वाल और इंग्लैंड के लोकनाट्य के तुलनात्मक अध्ययन पर शोध उपाधि प्राप्त करने के साथ अनेक शोध आलेख इंटरनेशनल रिसर्च जर्नल में प्रकाशित करवा चुके हैं. विदेश में अनेक विश्वविद्यालयों में गेस्ट लेक्चर देने के साथ अनेक नाटकों का लेखन, निर्देशन भी कर चुके हैं. स्वयं अच्छे अभिनेता भी हैं और क्षेत्रीय लोकनाट्य के संरक्षण और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सफल प्रस्तुतीकरण की महत्वपूर्ण उपलब्धि भी उनके खाते में है.

अपने परिवार के साथ तान्या पुरोहित

बहरहाल प्रो. पुरोहित के अकेडमिक प्रोफाइल, कल्चरल कंट्रीब्यूशन और सोशल एक्टिविटी पार्टिसिपेशन का दायरा इतना विस्तृत है कि उन सबको लेकर भी असीमित शोध अध्ययन किए जा सकते हैं. अभी उनके परिचय की झलक सिर्फ़ तान्या पुरोहित की परम्परा और मेकिंग को समझने के उद्देश्य से बताना प्रासंगिक है. यह भी कि जड़ों को और क़रीब से जानने के इच्छुक, रुद्रप्रयाग से बदरीनाथ मार्ग पर यात्रा करते हुए रतूड़ा-घोलतीर के बीच, अलकनंदा के पार क्वीली गाँव को देखा जा सकता है.
(Tanya Purohit)

तान्या पुरोहित का परिचय उनके हमसफर के जिक़्र के बगैर पूरा नहीं हो सकता. दीपक डोभाल तान्या की रुचि, अध्ययन क्षेत्र और सपनों के भी हमसफर हैं. सम्प्रति, जी बिजनेस में एंकर हैं इससे पहले राज्यसभा टीवी के लोकप्रिय न्यूज़ रीडर रह चुके हैं. दीपक डोभाल के लिए प्रसिद्ध लोकोक्ति का शब्द-विन्यास बदलना पड़ेगा. कुछ इस तरह हर सफल महिला के पीछे एक पुरुष का हाथ होता है.

तान्या की सूरत माँ से मिलती है, सीरत पिता से. उसमें उत्तराखंड की बेटी का अक़्स दिखता है, उसने उत्तराखंड को एक नई राह का पता बताया है.
(Tanya Purohit)

1 अगस्त 1967 को जन्मे देवेश जोशी फिलहाल राजकीय इण्टरमीडिएट काॅलेज में प्रवक्ता हैं. उनकी प्रकाशित पुस्तकें है: जिंदा रहेंगी यात्राएँ (संपादन, पहाड़ नैनीताल से प्रकाशित), उत्तरांचल स्वप्निल पर्वत प्रदेश (संपादन, गोपेश्वर से प्रकाशित) और घुघती ना बास (लेख संग्रह विनसर देहरादून से प्रकाशित). उनके दो कविता संग्रह – घाम-बरखा-छैल, गाणि गिणी गीणि धरीं भी छपे हैं. वे एक दर्जन से अधिक विभागीय पत्रिकाओं में लेखन-सम्पादन और आकाशवाणी नजीबाबाद से गीत-कविता का प्रसारण कर चुके हैं. .

काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

2 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

3 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago