संस्कृति

उत्तराखण्ड के लोक संगीत की धरोहर हैं संत राम-आनंदी देवी

संत राम और आनंदी देवी की जोड़ी में उत्तराखण्ड का लोक संगीत बसता है कहना बिलकुल गलत नहीं होगा. इस…

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किर्जी भाम : 12 सालों में मनाया जाने वाला महोत्सव

उत्सव शब्द ही अपने आप में हर्षो-उल्लास एवं खुशी को व्यक्त करता है. जब भी किसी उत्सव की बात होती…

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‘कुमाऊँ का होली गायन : लोक एवं शास्त्र’ के लेखक डॉ पंकज उप्रेती से बातचीत

देवभूमि उत्तराखंड के हर क्षेत्र में डेढ़ सौ साल से भी अधिक समय से शास्त्रीय संगीत पर आधारित बैठकी होली…

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नए साल के लिए उत्तराखण्ड का अपना कैलेंडर

भांति-भांति के कैलेंडर देखकर एक उत्तराखंडी होने की वजह से हमारा भी मन करता है कि हमारा भी अपना एक…

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लोककथा : धौन पानी का भूत

धौन पानी क्षेत्र के एक गांव में तीन लोग रहते थे — सास, ससुर और बहू. सास और ससुर बहु…

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उत्तराखंड की लोककथा : फूलों की घाटी

हिमालय पर्वत की घाटी में एक ऋषि रहते थे. बर्फ सी सफेद पकी दाढ़ी वाले ऋषि कंद, मूल, फल खाते…

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उत्तराखंड की लोक-कथा: बीरा बैण

सालों पहले उत्तराखण्ड के जंगल में एक बुढ़िया रहती थी. उस विधवा बुढ़िया के सात बेटे थे और एक सुंदर…

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उत्तराखण्ड की लोककथा : ब्रह्मकमल

बहुत समय पहले की बात है. कहते हैं कि उस समय परी लोक की परियाँ धरती पर आती थीं. यहाँ…

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उत्तराखण्ड की लोककथा : अजुआ बफौल

जमाने पुरानी बात है. पंच देवता का मन हुआ कि हिमालय की यात्रा की जाये. सो पंचदेव पर्वतराज हिमालय की…

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उत्तराखण्ड की लोककथा : गाय, बछड़ा और बाघ

एक गांव में गाय अपने बछड़े के साथ रहती थी. बछड़े को घर छोड़ गाय रोज हरी घास चरने जंगल…

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